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वो मौत के बाद भी ‘जिंदा’
Last Updated on December 12, 2020 by Sintu Kumar
मैक्लोडगंज। मरने के बीस दिन बाद भी कोई जिंदा हो सकता है, सुनने भर में ही अटपटा सा लगता है, लेकिन ऐसा हुआ है। जिस शख्स को बीस दिन पहले चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया गया हो उसके चेहरे की चमक और शरीर की गर्माहट इस बात का हल्का सा भी आभास नहीं होने देती कि वो एक मृत शरीर है। हम बात कर रहे हैं, दक्षिण भारत में गादेन जंग्त्से मठ के बौद्ध विद्वान गेशे तेनपा ग्यालत्सेन की। उनकी मृत्यु को हुए बीस दिन बीत चुके हैं, लेकिन उनके शरीर से आज भी कोई शारीरिक क्षय या कमी के संकेत नहीं मिले हैं। यानी चिकित्सीय तौर पर मृत्यु के 20 दिनों के बाद भी गेशे तेनपा थुकदाम की दुर्लभ ध्यानस्थ अवस्था में हैं।
थुकदाम एक तिब्बती शब्द है जिसका अर्थ है जिसका अर्थ है समाधि या ध्यान की स्थिति के लिए खड़े रहना। कुछ साल पहले तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा की पहल पर इस तरह की घटना की वैज्ञानिक शोध भी चल रहा है। तिब्बती बौद्धों ने थुकदाम का दुर्लभ ध्यान के रूप में भी वर्णन किया है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन यानि CTA के धर्म और संस्कृति विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक थुकदाम एक बौद्ध घटना है, जिसमें एहसास होता है कि शारीरिक मृत्यु के बावजूद मरने वाले की चेतना बनी रहती है। हालांकि उन्हें चिकित्सकीय रूप से मृत घोषित कर दिया जाता है, लेकिन उनके शरीर में क्षय के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और यह बिना संरक्षण के कई कई दिनों या हफ्तों तक जीवित शरीर की तरह ही बने रहते हैं। तिब्बती बौद्ध साहित्य के अनुसार, उनके चेहरे पर एक निश्चित चमक होती है और एक सामान्य जीवित व्यक्ति के रूप में उनके शरीर में एक गर्माहट रहती है।