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आलू बीज की आसमान छूती कीमतों ने तोड़ दी कृषि कारोबार की कमर, बिजाई से पीछे हटने लगे Farmers
Last Updated on September 19, 2020 by Deepak
ऊना। आलू के बीज (Potato Seed) की बेतहाशा बढ़ी कीमतों के चलते किसानों ने आलू की फसल की बिजाई करने से हाथ खींचना शुरू कर दिया है। बड़े स्तर पर खेती करने वाले किसान जहां इस बार कुछ एकड़ तक सिमट कर रह गए हैं। वहीं, छोटे कृषि कारोबारियों ने इस बार के आलू सीजन से तौबा कर ली है। जिसका मुख्य कारण आलू के बीज का महज 12 महीने में दोगुने दामों तक जा पहुंचना है। पिछले सीजन आलू का बीज जहां 18 से 20 रुपये प्रति किलो मिला था। वहीं, इस बार यह 40 रुपये तक जा पहुंचा है। बात केवल बीज तक ही सीमित नहीं रही है। सीजन के दौरान होने वाला खादों का खर्च और कीटनाशकों (Pesticides) पर होने वाला खर्च भी किसानों को आर्थिक रूप से नुकसानदेह साबित होने वाला है।
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यदि पूरी तरह देसी खाद और पोल्ट्री फार्म की खाद का भी प्रयोग किया जाए तब भी हजारों रुपए इस पर खर्च आएगा। जबकि कीटनाशक स्प्रे का भी किसानों को काफी खर्च उठाना पड़ेगा। जिसके चलते कुल मिलाकर 50 से 60 हजार रुपए तक का खर्च होगा। लेकिन बाद में समर्थन मूल्य लागत से कहीं कम मिलने के कारण उन्हें घाटा उठाने को मजबूर होना पड़ेगा। हर साल करीब साढे 4 क्विंटल बीज बोने वाले किसान अमरजोत सिंह बेदी ने इस बार महज डेढ़ क्विंटल बीज बोया है। वहीं 25 एकड़ तक आलू की खेती करने वाले किसान हितेश रायजादा इस बार 20 एकड़ के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाए हैं।
क्या कहते हैं कृषि विभाग के अधिकारी
वहीं, कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारी भी मानते है कि इस बार आलू फसल के बीज का दाम काफी बढ़ जाने के कारण किसानों को काफी समस्या आई है। पिछले सीजन के बीच जहां 20 रुपए प्रति किलो ग्राम तक मिल रहा था। वहीं, इस बार यह 40 से 42 रुपए प्रति किलोग्राम तक जा पहुंचा है। कृषि उपनिदेशक ने कहा कि ऊना में आलू के बीज का वितरण रेगुलेट ना होने के चलते किसानों की समस्या पेश आई है। इस बारे में कृषि विभाग के उच्चाधिकारियों से भी बात की गई है। वहीं, अगले सीजन से आलू का बीज बेचने वाली कंपनियों और किसानों से संबंधित सोसाइटियों को एक मंच पर लाकर इस समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि किसानों को आलू का बीज महंगे दामों पर ना खरीदना पड़े।