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Lockdown में घरेलू हिंसा के सबसे अधिक Case उत्तराखंड और हरियाणा से सामने आए
Last Updated on May 16, 2020 by
नई दिल्ली। भारत में जारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के बीच पूरे देश को पिछले डेढ़ महीने से अभी अधिक समय से लॉकडाउन पर रखा गया है। लॉकडाउन के दौरान जहां लोग अपने-अपने घरों में रह रहे हैं, वहीं इस सब के बीच देश में घरेलू हिंसा (Domestic violence) के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) (NALSA) द्वारा एकत्रित डेटा के मुताबिक, उनके पास लॉकडाउन के दौरान देश भर में घरेलू हिंसा से संबंधित 727 मामले रिपोर्ट हुए। नालसा की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक मामले उत्तराखंड (144), हरियाणा (Haryana) (79) और दिल्ली (63) से सामने आए।
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मकान मालिक द्वारा घर से निकालने की धमकी देने के मामलों में भी उत्तराखंड नंबर 1
झारखंड, कर्नाटक और नगालैंड राज्यों में घरेलू हिंसा से संबंधित कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ। वहीं 310 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें मकान मालिक द्वारा घर से निकालने की धमकी दी गई थी। धमकी के ऐसे मामले भी उत्तराखंड (Uttarakhand) से सबसे ज्यादा आए। ये 201 के करीब थे। इन सभी को भी कानूनी सहायता दी गई। बता दें कि नालसा के सहयोग से 51 दिनों के लॉकडाउन के दौरान 59,163 कैदियों (prisoners) को रिहा किया जा चुका है। इन कैदियों को जमानत और पैरोल पर रिहा किया गया है।
सजा पाए कैदियों की सबसे ज्यादा पैरोल पर रिहाई मध्य प्रदेश से हुई
वहीं नालसा की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कैदियों को पैरोल और यूपी में जमानत पर रिहा किया गया। नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना के निरीक्षण में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, रिहा 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया। इनमें सबसे अधिक 9,977 कैदी यूपी से रिहा किए गए हैं। वहीं, 16,391 ऐसे कैदी रिहा किए गए हैं, जिन्हें सजा हो गई थी। इन्हें भी पैरोल पर रिहा किया गया है। सजा पाए कैदियों की सबसे ज्यादा पैरोल पर रिहाई मध्य प्रदेश से हुई है। इनकी संख्या 3,577 है। वहीं, 243 कैदियों को सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत जमानत भी दी गई है।