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देहरादून। उत्तराखंड ( Uttarakhand) में आज एक बार फिर हिमालय से आफत आई। उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिला में आई बाढ़ ने इस पहाड़ी राज्य और देश के 2013 के जख्मों को ताजा कर दिया। उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब चार हजार लोगों ने अपनी जिंदगी गंवाई (Death) थी, लेकिन बताया जाता है कि उत्तराखंड केदारनाथ (Kedarnath 2013) त्रासदी में करीब दस हजार लोगों की मौत ( Ten Thousand People Died) हुई थी। ऐसे में चमोली जिला के जोशीमठ (Joshimath) में ग्लेशियर टूटने के बाद आई बाढ़ ने वही जख्म ताजा कर दिए। इस त्रासदी (Tragedy) में भी 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है।
गौरतलब हो कि 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद आज सात साल सात महीने और 25 दिन बाद एक बार फिर कुछ वैसा ही मंजर देखने मिला। एक बार फिर उत्तराखंड कुदरत के कहर का शिकार बना। उत्तराखंड के चमोली जिला के जोशीमठ में पहले ग्लेशियर टूटा और मलबे के कारण धौलीगंगा नदी में भयंकर बाढ़ आ गई। 2013 में उत्तराखंड में कुदरत के महाप्रलय के दृश्य पूरी दुनिया ने देखे थे। इस महात्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों के जख्म आज एक बार फिर ताजा हो गए हैं। उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी में 16 और 17 जून 2013 की दरमियानी रात ऐसा ही महाप्रलय हुआ था। 2013 की आपदा का आलम ये था कि लोग अपनों को तलाशने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से उत्तराखंड जा पहुंचे और कई दिनों तक तलाशने के बाद भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगी।
उत्तराखंड का 2013 का महाजलप्रलय एक ऐसी त्रासदी है, जो कभी नहीं भुलाई जा सकती। आपको बता दें कि 2013 की आपदा में मरने वालों की संख्या सरकारी दस्तावेजों में करीब 4 हजार दर्ज है, लेकिन वास्तविक संख्या 10 हजार से ज्यादा बताई जाती है। 2013 की आपदा में बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 11 हजार 759 भवनों को आंशिक नुकसान पहुंचा था और लगभग 11,091 मवेशी भी मारे गए थे। इसके अलावा करीब 4200 गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था। 172 छोटे-बड़े पुल बह गए थे और कई सौ किलोमीटर सड़क बह चुकी थी। 1308 हेक्टेयर कृषि भूमि आपदा में तबाह हुई थी। ऐसे में आज चमोली में हुई त्रासदी ने एक बार फिर उत्तराखंड और देश के लोगों के जख्म ताजा कर दिए हैं।
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