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नई दिल्ली। भारत की थल सेना के पास गोला-बारूद की कमी को देखते हुए अगले 10 साल के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। इसके तहत 11 कंपनियां तय समयसीमा में सेना को उसकी जरूरत का गोला-बारूद सप्लाई करेंगी। इससे सेना के पास एक महीने तक जंग के लिए गोला-बारूद का रिजर्व मौजूद रहेगा।थल सेना लंबे समय से हथियारों और टैंकों के गोला-बारूद की मांग कर रही थी। अब इनके घरेलू स्तर पर उत्पादन करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी परियोजना को अंतिम रूप दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में 11 निजी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके क्रियान्वयन की निगरानी थल सेना और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी करेंगे। परियोजना का फौरी लक्ष्य गोला-बारूद के मामले में दूसरे देशों पर निर्भरता को खत्म कर इन्हें देश में ही बनाने का है। इसके तहत सेना सभी बड़े हथियारों के लिए एक ‘इंवेंट्री’ बनाएगी, ताकि बल 30 दिनों का युद्ध लड़ सके।
अभी 10 दिन की जंग का है गोला-बारूद
परियोजना के तहत उत्पादन किए जाने वाले गोला-बारूद की जरूरत का 10 साल का टारगेट निर्धारित किया है। इनका उत्पादन समयसीमा के अंदर किया जाएगा। बता दें कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पिछले साल जुलाई में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 152 प्रकार के गोला-बारूद में सिर्फ 61 प्रकार का भंडार ही उपलब्ध है और युद्ध की स्थिति में यह सिर्फ 10 दिन चलेगा। निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक गोला-बारूद का भंडार एक महीने लंबे युद्ध के लिए पर्याप्त होना चाहिए।
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