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देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू (Bird Flu) की पुष्टि हो चुकी है। हिमाचल, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल और झारखंड में काफी ज्यादा मामले बर्ड फ्लू के देखे गए हैं। हिमाचल में तीन हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षियों (Migratory birds) की मौत हो चुकी है तो हरियाणा (Haryana) में एक महीने के भीतर चार लाख मुर्गे-मुर्गियां भी दम तोड़ चुकी हैं। केरल में बर्ड फ्लू को राजकीय आपदा घोषित कर दिया गया है। पंजाब (Punjab) में भी बाहरी राज्यों से आने वाले पोल्ट्री प्रोडक्टस (Poultry products) पर रोक लगा दी गई है।
ऐसे में मुर्गी पालन से जुड़े लोगों का व्यवसाय चौपट हो रखा है। इन हालातों में उत्तर प्रदेश की दीनदयाल वेटरिनरी यूनिवर्सिटी की ओर से मुर्गी पालन से जुड़े लोगों को सलाह दी गई है कि वो बाहर से लाई गई मुर्गियों को पहले कुछ दिन क्वारंटाइन (Quarantine) करें। विशेषज्ञों का कहना है कि फार्म की मुर्गियों को बाहर से लाई गई मुर्गियों के साथ ना रखें। मुर्गियों को पहले क्वारंटाइन रखें और फिर कुछ दिनों के बाद ही उन्हें फार्म की मुर्गियों के साथ संपर्क में आने दें।
दीनदयाल वेटरिनरी यूनिवर्सिटी के अधिष्ठाता प्रोफेसर पंकज कुमार शुक्ला का कहना है कि बर्ड फ्लू बीमारी का कोई कारगर इलाज नहीं है। मुर्गियों में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखाई दें तो आप तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पालतू मुर्गियों को बाहर से लाई गई मुर्गियों विशेष तौर पर जल पक्षियों से दूर ही रखें। जल पक्षियों से बर्ड फ्लू का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।प्रोफेसर पंकज कुमार शुक्ला ने बताया कि बर्ड फ्लू होने पर मुर्गियों में कई लक्षण पाए जाते हैं। मुर्गा-मुर्गी बीमार सुस्त दिखाई देती है। उसके पंख लटक जाते हैं। साथ ही मुर्गियों में सांस लेने में परेशानी होती है। मुर्गी के मुंह व नाक से लार निकलती है और गर्दन सूज जाती है। आंखों के आस-पास भी सूजन देखी जा सकती है। मुर्गी अंडा नहीं देता और उसके अंडों का आकार भी बिगड़ सकता है। प्रोफेसर पंकज ने मुर्गी पालन से जुड़े लोगों को विशेष तौर पर ऐसी एहतियात बरतने की सलाह दी।
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