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नई दिल्ली। आतंकी संगठन आईएसआईएस का नाम सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है ऐसी जगह पर रहकर उन आतंकियों की यातनाएं सहना कितना कष्टदायक होगा ये कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। ऐसी कुछ पीड़िताओं ने जब दुनिया के सामने अपनी आपबीती सुनाई तो सुनने वाले भी कांप गए। बचाए गए यजिदियों के दफ्तर के निदेशक हुसैन अल कादी ने स्थानीय एनजीओ के साथ मिलकर आईएसआईएस (ISIS) के चंगुल से बचाई गई कुछ पीड़िताओं की एक प्रेस कांफ्रेंस करवाई जिसमें उन्होंने मुंबई में अपनी दर्द भरी दास्तां दुनिया के सामने रखी।
एक पीड़िता ने बताया कि महज 13 साल की उम्र में 3 अगस्त, 2014 को आतंकी संगठन आईएसआईएस ने उसे बंधक बना लिया था। उसके बाद उसकी जिंदगी किसी नरक से कम नहीं थी। करीब एक साल तक उसके साथ बहुत ही अमानवीय व्यवहार (Inhuman behavior) हुआ। तीन बार आतंकियों ने उसकी खरीद-फरोख्त की। रोजाना उसके साथ यौन उत्पीड़न होता था। अपहरण के बाद उसे ऐसे घाव मिले हैं जिन्हें वह कभी नहीं भूल पाएगी।
क्षेत्रीय कुर्द सरकार के प्रतिनिधियों और आईएर्सआएस की यातनाओं के शिकार हुए पीड़ितों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि संघर्ष वाले क्षेत्र से यजिदी और कुर्द लोगों को निकालकर उनके पुनर्वास करने में मदद करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सिंजर से अमेरिकी सेनाओं की वापसी एक गलत निर्णय है। इससे क्षेत्र में आईएसआईएस का आतंक बढ़ेगा खासतौर से यजिदी जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ।
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