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विकास दुबे केस: UP सरकार पर SC ने उठाए सवाल; सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज भी होंगे एनकाउंटर जांच में शामिल
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिसवालों को मारने के आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। मामले में सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद में डॉक्टर से रेप करने वालों के एनकाउंटर से यह अलग है। उनके हाथ में हथियार नहीं थे। साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कानून का शासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसमें गिरफ्तारी, मुकदमे और सजा की आवश्यकता है। इस दौरान यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी। हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जांच कमेटी में पूर्व SC जज और एक पुलिस अधिकारी हमारे होंगे। यूपी सरकार (UP Govt) जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत भी हो गई है।
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उत्तर प्रदेश सरकार के तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखी सर्वोच्च अदालत
सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि दो दिनों में नई कमिटी की अधिसूचना कोर्ट के सामने पेश की जाएगी। यूपी सरकार द्वारा न्यायिक जांच कमिटी पर ड्राफ्ट अधिसूचना जारी करने के बाद बुधवार को कोर्ट मामले की अगली सुनवाई करेगा। वहीं मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत उत्तर प्रदेश सरकार के तर्कों से संतुष्ट नहीं दिखी और कई बार यूपी सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमें इस बात पर हैरानी है कि आखिर इतने मामलों का मुजरिम पैरोल पर बाहर कैसे था। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हैरानी है कि जिस व्यक्ति पर इतने मामले दर्ज हो, वो बेल पर कैसे बाहर हो सकता है और फिर इस तरह की हरकत कर सकता है। कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम का फेल्योर दिखाता है। कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है। बता दें कि विकास दुबे करीब 60 से अधिक मामलों में नामित था। अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। यूपी सरकार को इस दौरा न्यायिक जांच पर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पेश कराना होगा।