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शिमला। केंद्रीय प्रशानिक ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार को विनीत चौधरी को मुख्य सचिव के पद के बराबर का दर्जा देने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेशों में साफ किया है कि यदि प्रदेश सरकार आदेशों के बावजूद यह नहीं करती है तो रिसपोडेंट नंबर तीन यानि मुख्य सचिव के कार्यों पर रोक लगाने के आदेश देगी। इसमें सीएस का बराबर दर्जा देने के लिए सरकार को आदेश करने होंगे। सरकार को अपने आदेशों साफ करना होगा कि आईएएस विनीत चौधरी को जिस पद पर तैनाती दी हैए वह मुख्य सचिव के बराबर है। इसी आधार पर इन्हें सुविधाएं भी मुख्य सचिव के पद की तर्ज पर ही दी जाएगी। कैट के आदेशों के बाद अब उम्मीद है कि प्रदेश सरकार की ओर से शीघ्र ही इसके आदेश जारी किए जाएंगे। इसमें सलाहकार जन शिकायत निवारण को मुख्य सचिव के बराबर का दर्जा देने और सुविधाएं देने की बात कहीं जाएगी।
हिमाचल सरकार ने मुख्य सचिव के पद पर 1983 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वीसी फारका की तैनाती की है। इस तैनाती के विरोध में पहले तो 1982 बैच के आईएएस अधिकारी वरिष्ठता की अनदेखी के मामले में छुट्टी पर चले गए। इसके बाद स्टडी लीव भी ली। इसी दौरान इन्होंने वरिष्ठ आईएएस वर्तमान में सेवानिवृत्त दीपक सानन के साथ इस मामले को कैट में चुनौती दे दी। कैट ने इस मसले में पहले आदेश किए कि इन्हें ऐसे पदों पर तैनात किया जाएए जहां मुख्य सचिव को रिपोर्ट न करनी हो। इसलिए इन्हें सलाहकार जन शिकायत निवारण के पद पर तैनाती दीए वहीं वर्तमान में सेवानिवृत्त अधिकारी दीपक सानन को भी सरकार ने सलाहकार के पद पर तैनाती दी थी।
प्रदेश में मुख्य सचिव की तैनाती में वरिष्ठता की अनदेखी के मामले में तीन आईएएस विरोध स्वरूप लंबे समय तक छुट्टी पर रहे। 1982 बैच के दीपक सानन और विनीत चौधरी मुख्य सचिव वीसी फारका की तैनाती के बाद छुट्टी पर चले गए।
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