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किसानों के हक़ की लड़ाई लड़ेगी बीजेपी, कंवर का आरोप- कांग्रेस ने किए किसानों की जमीन पर कब्जे
Virender kanwar In Una : हिमाचल बीजेपी के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर (Virender kanwar) ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर किसानों की भूमि अवैध रूप से कब्जाने का आरोप लगाया है। शनिवार को ऊना जिला मुख्यालय (Una District Headquarters) पर आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की भूमि पर प्रदेश की सरकार कुंडली (Congress Government) मारकर बैठी है। उन्होंने कहा अगर सरकार किसानों को उनका हक़ नहीं देती है तो बीजेपी (BJP) जन आंदोलन छेड़ेगी।
किसानों के प्रति रवैया बदले सरकार : कंवर
पूर्व मंत्री और बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र कंवर (BJP State Vice President Virendra Kanwar) ने कहा कि, एक तरफ किसानों की भूमि पर प्रदेश सरकार कुंडली मारकर बैठी है। तो दूसरी तरफ वन माफिया किसानों की भूमि में लगे लाखों रुपए मूल्य के खैर के पेड़ अवैध रूप से काट कर ले जा रहा है। न तो सरकार इस भूमि का मालिकाना हक किसानों (Farmers) को दे रही है और ना ही इस भूमि में किसानों की संपदा को बचा पा रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने अपने इस रवैया में बदलाव नहीं किया और खुदरा दरखतान मलकियत भूमि (Retail Tenement Land) पर किया गया अवैध कब्जा नहीं छोड़ा तो बीजेपी (BJP) इस मसले को लेकर जन आंदोलन खड़ा करेगी। उन्होंने कहा कि ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा (Una, Hamirpur and Kangra) जिलों में ही करीब 32000 हेक्टेयर ऐसी भूमि है जो किसानों की होने के बावजूद किसानों को उसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा।
किसानों की भूमि का कब्जा छुड़ाएगी बीजेपी
पूर्व मंत्री और बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र कंवर (Virender Kanwar) ने कहा कि वर्ष 1999 में तत्कालीन सीएम प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल (Professor Prem Kumar Dhumal) ने इस भूमि का मालिकाना हक किसानों को प्रदान किया था। ताकि कृषि योग्य भूमि के साथ-साथ जंगल की इस भूमि पर होने वाली संपदा का लाभ किसानों को मिल सके। लेकिन वर्तमान समय में सरकार के कब्जे में चल रही किसानों की इस भूमि पर खैर के बड़े-बड़े पेड़ों सहित अन्य वन संपदाओं को वन माफिया द्वारा दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। न तो प्रदेश की सरकार किसानों (Farmers) को उसकी भूमि देकर इन वन संपदाओं की सुरक्षा को निश्चित कर पा रही है और ना ही वन माफिया से खुद इन वनों को बचा पा रही है। जिसके चलते नुकसान केवल किसानों को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मसले को एक बार फिर जोर-शोर से उठाया जाएगा और किसानों की इस भूमि का कब्जा उन्हें वापस दिलाने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो संघर्ष का रास्ता भी अख्तियार किया जाएगा। पूर्व मंत्री ने कहा कि आरंभिक तौर पर इस मसले को लेकर किसानों में जन जागरण के लिए भी अभियान (Movement) शुरू किया जा रहा है।