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पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने 2800 किलोमीटर पैदल चला कुल्लू का वीरेंद्र, 48 दिन में पूरा किया सफर
Last Updated on June 18, 2021 by saroj patrwal
कुल्लू। अड़चनों का बहाना बनाकर घुटने टेक देने वालों को बड़ी सीख देने के लिए वीरेंद्र ठाकुर (Virendra Thakur) का हौसला एक मिसाल है। कुल्लू जिला की फोजल पंचायत की धारा गांव निवासी वीरेंद्र ठाकुर ने पर्यावरण संरक्षण (Environmental Protection) का संदेश देने के लिए 2800 किलोमीटर का पैदल सफर पूरा किया। यह पैदल यात्रा युवक ने कुल्लू जिला (Kullu)के डोभी नामक स्थान से शुरू की थी और केरल राज्य के कासर बोर्ड शहर में समाप्त हुई। युवक के अनुसार यह सफर उन्होंने 43 दिन में पूरा किया है। हालांकि केरल से वापस कुल्लू तक पहुंचने की योजना साइकिल के माध्यम से थी लेकिन केरल कर्नाटक और महाराष्ट्र में मॉनसून शुरू होने के कारण वापसी का सफर स्थगित करना पड़ा। लिहाजा उसके बाद युवक कुल्लू लौट आया। कुल्लू पहुंचने पर फोजल पंचायत के प्रधान कहना सिंह सहित बीडीसी मेंबर, वार्ड पंच और माता-पिता सहित तमाम ग्रामीणों ने वीरेंद्र का फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। वीरेंद्र ठाकुर की माता तारा देवी और पिता श्यामलाल ने अपने बेटे को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और खुशी जताई। इस दौरान मनाली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेसी नेता भुवनेश्वर गॉड जिला परिषद अध्यक्ष पंकज परमार उपाध्यक्ष वीर सिंह ठाकुर सहित कई नेताओं और पर जनप्रतिनिधियों ने भी वीरेंद्र सिंह को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
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वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि उनकी इस पैदल यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना था कि वो गाड़ियों का इस्तेमाल कम से कम करें इससे उनकी सेहत भी ठीक रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। वीरेंद्र ने बताया कि 25 अप्रैल को उन्होंने अपना सफर शुरू किया था। वीरेंद्र आठ राज्यों से होते हुए निकले और 43 दिन में अपना सफर पूरा किया। उन्होंने अपना यह सफर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला से शुरू किया था जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्यों में पूरा किया। वीरेंद्र ने बताया कि उनके रास्ते में कई बाधाएं आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ता गया आखिर मंजिल पा ली।
तंबू लगा कर जंगल में ही काटनी पड़ी रात
वीरेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हें 3 दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं मिला तो उन्होंने जो बिस्कुट अपने बैग में डाल रखे थे उसके सहारे ही 3 दिन बिताए। यह उनके लिए बहुत ही कठिन दौर था। इस दौरान उनके साथ जिंदा रहना बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा जब राजस्थान पहुंचे तो इस दौरान एक मोटरसाइकिल सवार ने उनका मोबाइल छिनने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी तरह मोबाइल बचा लिया। इसके साथ ही कर्नाटक राज्य के गांव बहुत ही दूर दूर है और रास्ता जंगल भरा है इस दौरान उन्हें काफी मुसीबत का सामना करना पड़ा और अपना तंबू रात को जंगल में ही लगाना पड़ा जहां उनको जंगली जानवरों का भी खतरा। आखिर में वह तमाम बाधाएं पार कर और अपना सफर पूरा करने के बाद आज अपने घर कुल्लू पहुंचे।