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नई दिल्ली। मोदी के गृह जनपद में आधे सांसदों के काम से जनता नाराज है। जनता की यह नाराजगी बीजेपी को चुनावों में नुकसान पहुंचा सकता है। गुजरात के इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट माने तो अगर गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को नया चेहरा नहीं मिला, तो फिर से उतनी सीटें न मिलने का खतरा बढ़ सकता है। हाल के 26 सांसद में से 50 फीसदी सांसद ने उनके संसदीय क्षेत्र में जो काम किए हैं उनसे जनता खुश नहीं है।
कई सांसद ऐसे हैं जो क्षेत्र में मतदाताओं के बीच गए ही नहीं। इसलिए प्रदेश के कई जगहों पर एंटी-इनकंबेंसी की आहट सुनाई देती है। बीजेपी के संगठन के आंतरिक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि पार्टी को सौराष्ट्र और उत्तरी इलाकों की सीटों में भारी नुकसान हो सकता है।
आईबी के रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बीजेपी के पास ऐसी 10 सीटें हैं जहां कैंडिडेट नहीं बदल पाएंगे, क्योंकि इस चुनाव में उनके जीतने की संभावना अधिक है। ये सीटें मुख्य रूप से अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत और वडोदरा से हैं। बीजेपी को उत्तर और मध्य गुजरात की सीटों में आमूल परिवर्तन करना पड़ेगा। हालांकि मोदी सरकार राजकोट में एम्स देने के लिए बड़ा फैसला ले सकती है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए हमारी पार्टी कांग्रेस के मजबूत कैंडिडेट को बीजेपी में शामिल करती है तो पार्टी के लिए ये स्टेप विनाशकारी माना जाता है। ऐसा करने से बीजेपी की छवि खराब होगी। बीजेपी में कई युवा कार्यकर्ता एसे हैं कि वह उनके इलाके में मजबूत हैं और चुनाव भी जीत सकते हैं। पार्टी के युवा नेताओं को लोकसभा में भेजना चाहिए।
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