-
Advertisement
स्टडी : समय की बर्बादी नहीं, गुस्से और तनाव से बचाती है बुनाई
Last Updated on February 18, 2020 by
आपने घर में कभी दादी-नानी या शायद मम्मी को स्वेटर बुनते जरूर देखा होगा। हालांकि अब समय के साथ ये सब कम हो गया है और लोग रेडिमेड गर्म कपड़ों (Readymade Woolens) का ही इस्तेमाल करते हैं। अगर आपको ये लगता है कि बुनाई से सिर्फ समय की बर्बादी होती हैं और आंखें खराब होती हैं तो आप बिलकुल गलत हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बुनाई गुस्से और तनाव (Anger and Stress) से बचाती है और आपके मन को शांत रखती है।
यह भी पढ़ें: रेलवे स्टेशन पर फ्री Wi-Fi सर्विस बंद करेगा गूगल, कहा- भारत में मोबाइल डेटा बहुत सस्ता
हाल ही में हुई एक स्टडी (Study) में खुलासा हुआ है कि बुनाई से मन शांत रहता है और दिमाग भी बेहतर ढंग से काम करता है। इस स्टडी के दौरान बुनकरों ने माना है कि बुनाई के इस शौक के कारण उनकी सेहत और बेहतर हुई है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑक्युपेशनल थेरेपी में छपी इस स्टडी के अनुसार 81 प्रतिशत लोगों ने माना कि बुनाई करके उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है। रंगीन ऊनों की सॉफ्टनेस और सिलाइयों की उधेड़बुन दिमाग में सेरोटोनिन नामक तत्व का प्रवाह करती है। इसी कारण मूड एकदम से फ्रेश हो जाता है और किसी भी तरह के शारीरिक दर्द से राहत भी मिलती है।
2007 में भी इसी विषय पर हुई एक और स्टडी में साफ हो चुका है कि लगातार बुनाई करने से नियमित रूप से हृदय की दर 11 बीट प्रति मिनट तक कम कर सकता है और शांति की भावना को बढ़ावा देता है। इससे दिमागी शक्ति (Mental Power) बढ़ती है और हल्के संज्ञानात्मक हानि के विकास की संभावना को कम करता है। बुनाई से शरीर को बहुत आराम मिलता है और यह ठीक मेडीटेशन की तरह काम करती है। बुनाई के दौरान दिमाग पूरी तरह व्यस्त होता है इसी के चलते दिमाग के मोटर फंक्शन बेहतर होते हैं जिसकी वजह से पार्कीसन जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को आराम मिलता है। कुछ ऊन के गोलों को पूरा करके और उससे कुछ पहनने लायक बनाना आपको एहसास करवाता है कि आपने कुछ किया है।