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बच्चों की परीक्षाओं का समय है और ऐसे में मां-बाप को भी बच्चों की काफी चिंता रहती है। उनकी चिंता का हल ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में भी मिल सकता है। हमारी शिक्षा का संबंध कहीं न कहीं ज्योतिष शास्त्र से भी होता है। किसी भी जन्मकुंडली में चन्द्रमा मन का कारक होता है। चंद्र, बुध व गुरु ग्रह विद्या प्राप्ति में मुख्य सहायक होते हैं। जन्मकुंडली में अगर चंद्र के साथ राहु, केतु का योग है अथवा चन्द्रमा 6, 8 या 12 भाव में है तो चांदी के गिलास में पानी पिएं, घर में बारिश का पानी रखें। भारतीय सनातन संस्कृति में मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए पूजा जाता है अतः माता-पिता गुरु और ईश्वर का आशीर्वाद प्रतिदिन अवश्य लेकर पढ़ाई करें। ऐसा करने से उस छात्र पर हमेशा ईश्वर की कृपा बनी रहती है। कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि हमारे बच्चो का मन पढ़ाई (Study) में नहीं लगता है या पढ़ाई करने के बाद सब भूल जाते हैं ऐसे लोगों के लिए वास्तु प्रयोग अवश्य कारगर होगा।
पढ़ाई करते समय हमेशा बैठ कर पढ़ाई करें कभी भी बिस्तर या लेट कर पढ़ाई न करें।
अध्ययन कक्ष में पढ़ाई करने के बाद कभी भी कोई कॉपी किताबें पेन को खुला न रखें पढ़ने के बाद उन्हें बैग या आलमारी में रखे।
माता-पिता बच्चों के अध्ययन कक्ष का चयन खुले और स्वच्छ जगह में करे जिससे उनका पढ़ाई में मन लगे। इसके लिए दिशाओं का बहुत प्रभाव होता है।
पढ़ाई करते समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके अध्ययन करें। आप की कुर्सी-मेज इस तरह से हो की पढ़ाई के समय मुंह ईशान कोण की तरफ ही रहे।
पढ़ने वाले छात्रों को सुबह सवेरे पढ़ाई की आदत अवश्य ही डालनी चाहिए ।
भूलकर भी विद्यार्थियों को घर पर पढ़ते समय जूते-मोज़े नहीं पहनने चाहिए ।
खाना खाते समय टेबिल पर कॉपी किताबें बंद करके, खाना खाने के लिए बनाये गए स्थान पर ही खाना चाहिए ।
अध्ययन करते समय आचार विचार शुद्ध होना चाहिए इसके लिए सात्विक भोजन करें, जहा पर आप पढ़ाई करते हैं वहां बैठ कर या टेबल कुर्सी पर खाना नहीं खाना चाहिए।
पढ़ाई करते समय अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए कॉपी किताबों को अपने मस्तक से लगाकर पढ़ाई करें, यही प्रक्रिया पड़ाई को समाप्त करते समय भी दोहराएं।
विद्या प्राप्ति का सबसे उपयुक्त समय ब्रह्म मुहूर्त अर्थात सुबह के 4 बजे का माना गया है। उस काल में पढ़ाई करते समय हमें कई गुना ज्यादा और तेजी से अपना पाठ याद होता है इसलिए
पढ़ाई करते समय प्रकाश या लाइट सामने या दाहिने तरफ से हो।
ब्राम्ही औषधि का नित्य सेवन करने से विधार्थियों की बुद्धि तीव्र होती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
सावधानी रखें, भूलकर भी सीढ़ियों के नीचे या बीम के नीचे कभी भी बैठ कर पढ़ाई या भोजन न करे।
मोर का पंख अध्ययन रूम में लगाएं व मोर पंख अपने पास रखने से विद्यार्थी का मन पढ़ाई में लगता है।
जिन विद्यार्थियों की वाणी में हकलाना, तुतलाना जैसे दोष हों, ऐसे लोग बांसुरी में शहद भरकर नदी के किनारे जमीन में गाड़ें। ऐसा करने से लाभ होगा।
जिन विद्यार्थियों को परीक्षा में उत्तर भूल जाने की आदत हो, उन्हें परीक्षा में अपने पास कपूर और फिटकरी रखनी चाहिए। इससे मानसिक रूप से मजबूती बनी रहती है और यह नकारात्मक ऊर्जा को भी हटाती हैं।
पंडित दयानंद शास्त्री
उज्जैन (म.प्र.) (ज्योतिष-वास्तु सलाहगाड़ी) 09669290067, 09039390067
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