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आखिर क्या है रेड, यलो, ओरेंज, ब्लू अलर्ट का मतलब, यहां पढ़े
मानसून के चलते देश के कई हिस्से बारिश से सराबोर हो रहे हैं। हिमाचल की बात करें तो राज्य में इस बार प्री मानसून समय से पहले ही दस्तक दे चुका है। इसी बीच मौसम विभाग (meteorological depatrment )की ओर समय – समय पर बारिश को लेकर अलर्ट जारी किए जाते है। क्या आप ने कभी ये योचा है कि मौसम विभाग की ओर से रेड, यलो, ओरेंज, ब्लू अलर्ट जारी होते हैं, इनका क्या मतलब है। अगर नहीं सोचा तो हम आप के इसके बारे में बताने वाले हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, अलर्ट्स( Alerts) के लिए इन रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर तय किया गया है।
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रेड अलर्ट : जैसा कि रंग से ही स्पष्ट है, लाल खतरे का निशान होता है। रेड अलर्ट (Red alert)में भारी नुकसान की संभावना रहती है। जब कोई चक्रवात अधिक तीव्रता के साथ आता है, जैसे भारी बारिश की स्थिति में हवा की गति 130 किमी प्रति घंटा या इससे अधिक पहुंच जाती है, तो ऐसे में रेड अलर्ट जारी किया जाता है। रेड अलर्ट में प्रशासन को जरूरी कदम उठाने को कहा जाता है।
ऑरेंज अलर्ट : जब चक्रवात ( cyclone)के कारण मौसम के बहुत अधिक खराब होने की आशंका होती है और जान और माल की क्षति होने की संभावना रहती है तो ऐसे में ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है। ऑरेंज अलर्ट के दौरान लोगों को घरों में ही रहने की सलाह दी जाती है। चक्रवात में हवा की गति 65 से 75 किमी प्रति घंटा हो सकती है। साथ ही 15 से 33 मिमी बारिश होने की संभावना रहती है।
येलो अलर्ट : भारी बारिश, तूफान, बाढ़ या ऐसी प्राकृतिक आपदा से पहले लोगों को सचेत करने के लिए मौसम विभाग येलो अलर्ट( yellow alert) जारी करता है। इस चेतावनी का मतलब है कि 7.5 से 15 मिमी की भारी बारिश होने की संभावना है। अलर्ट जारी होने के कुछ घंटों तक बारिश जारी रहने की संभावना रहती है और बाढ़ आने की आशंका भी रहती है।
ब्लू अलर्ट : बादल गरजने, आंधी-तूफान के साथ बारिश होने की जब संभावना बनती है, तब विभाग अक्सर ब्लू अलर्ट जारी करता है। इस दौरान कई इलाकों में गरज के साथ बारिश होने की संभावना रहती है।