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सबसे पहले किसने किया था बबलगम का अविष्कार, यहां पढ़े सब कुछ
History of Bubble Gum: आप सभी ने भी कभी ना कभी बबल गम ( Bubble gum) जरूर खाई होगी। अक्सर लोग सड़क चलते, खेलते या फिर खाली बैठकर टाइमपास करते बबल गम खाते रहते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई बबलगम चबाना पसंद करता है। यह मीठा और चबाने वाला पदार्थ आज हमारे जिंदगी का खास हिस्सा बन चुका है। सवाल यह है कि बबल गम की शुरुआत कब और कैसे हुई…
बलगम का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही लोग अलग-अलग तरह की चीजें चबाते रहे हैं। माना जाता है कि मेसोअमेरिकी लोग (Mesoamerican peoples) चिक्ले नामक एक पेड़ की राल को चबाते थे। इस राल में कुछ प्राकृतिक गुण होते थे जो दांतों को साफ करने और सांस की बदबू दूर करने में मदद करते थे। बबलगम के आविष्कारक के बारे में कोई एक निश्चित व्यक्ति का नाम लेना मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि बबलगम का विकास एक लंबी प्रक्रिया रही है, जिसमें कई लोगों ने योगदान दिया है।
विलियम जे. रिगले जूनियर (William J. Wrigley Jr.) को आधुनिक बबलगम के पिता कहा जाता है। उन्होंने 1892 में अपनी कंपनी Wrigley’s Spearmint शुरू की। उन्होंने चबाने वाली गम के साथ छोटे-छोटे बेकिंग पाउडर के पैकेट दिए थे। लोगों को बेकिंग पाउडर लेने की बजाय गम चबाना ज्यादा पसंद आया। इसी से उन्हें बबलगम बनाने का आइडिया मिला। इसके बाद 1928 में वॉल्टर डायमंड ने पहली बार बबलगम बनाने के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए गम बेस का पेटेंट कराया। बबलगम बनाने के लिए एक विशेष प्रकार के गम बेस का उपयोग किया जाता है। इस बेस को विभिन्न प्रकार के रबर, मोम और स्वाद से मिलाया जाता है। सभी सामग्री को एक साथ मिलाकर एक चिपचिपा मिश्रण बनाया जाता है। इस मिश्रण को विभिन्न आकारों और रंगों में ढाला जाता है। तैयार बबलगम को पैक किया जाता है और बाजार में बेचा जाता है।
बबल गम का गुलाबी कलर
कहा जाता है कि शुरुआती समय में कारखाने में गुलाबी कलर ही एकमात्र रंग था जो उपलब्ध था और यह तब से मानक बन गया। यही कारण है कि सालों से बबल गम को बनाने के लिए गुलाबी रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है।आज बबलगम कई तरह के स्वाद और रंगों में उपलब्ध है. इसमें अलग-अलग तरह के फ्लेवर, जैसे कि फ्रूट, मिंट और कॉफी आदि शामिल हैं। बबलगम को अब अलग-अलग प्रकार के पैकेजिंग में भी उपलब्ध है।
च्युइंग गम और बबल गम को खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिस वजह से बहुत से लोग दोनों को एक ही समझ लेते हैं। बता दें कि बबल गम और च्युइंग गम मीठे जरूर होते हैं, लेकिन दोनों को बनाने की अलग प्रक्रिया है। बबल गम में च्युइंग गम की तुलना में अधिक गम बेस होता है।
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