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आज गुड फ्राइडे (Good Friday) है यानी ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन। ये वो दिन है जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। हालांकि वो तीन दिन बाद जिंदा हो उठे थे जिसकी खुशी में ही ईस्टर संडे (Easter Sunday) का जश्न मनाया जाता है। माना जाता है कि प्रभु यीशु ने मानवता की भलाई और रक्षा के लिए अपने जीवन की बलि चढ़ा दी थी। आज भी लोग ईसा मसीह की दी तालीम को याद करते हैं।
ईसाई धर्म के मुताबिक ईसा मसीह परमेश्वर के बेटे हैं और वो संसार के लोगों को जागरूक करने आए थे। अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने के प्रयासों के कारण ही उन्हें मृत्यु दंड (Death penalty) दिया गया। उस दौर में यहूदियों के कट्टरपंथी रब्बियों अर्थात धर्मगुरुओं ने अपना दबदबा बनाया हुआ था। उन्होंने यीशु का विरोध किया। ऐसी परिस्थिति में जहां कट्टरपंथियों का गहरा प्रभाव था, उन्हें खुश करने के लिए पिलातुस ने यीशु को क्रॉस पर लटकाने और खत्म करने का फरमान सुना दिया। इतने कष्ट के बावजूद यीशु (Jesus) ने सामने नजर आ रही मौत को देखते हुए भी यही कहा था, ‘हे ईश्वर! इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।’ जिस दिन यीशु को क्रॉस पर लटकाने जैसा दर्दनाक काम को अंजाम दिया गया वो दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे था। ईसा मसीह के सकारात्मक (positive) रहने और अपने शत्रुओं के लिए भी अच्छा चाहने की वजह से ही उस दिन को गुड फ्राइडे के नाम से जाना जाता है।
ये दिन और भी नामों से है मशहूर धर्म ग्रंथों के अनुसार यीशु को सिर्फ क्रॉस पर लटकाया ही नहीं गया, उन्हें कई तरह से कष्ट पहुंचाए गए थे। ये दिन गुड फ्राइडे के अलावा होली फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और ब्लैक फ्राइडे (Black friday) के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई धर्म के अनुयायियों के घरों में गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले से ही प्रार्थना और उपवास शुरू हो जाते हैं। इस व्रत में लोग शाकाहारी भोजन करते हैं। गुड फ्राइडे के मौके पर लोग चर्च जाते हैं और प्रभु यीशु को स्मरण करते हैं, साथ ही उनके द्वारा दी शिक्षा को याद करते हैं। ईस्टर संडे को यीशु के जीवित हो जाने की खुशी में लोग प्रभु भोज में हिस्सा लेते हैं और एक दूसरे को गिफ्ट्स (Gifts) देते हैं।
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