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जानें क्यों बख्तरबंद ट्रेन से रूस पहुंचे उत्तर कोरियाई तानाशाह, किस बात का है खौफ
व्लादिवोस्तोक। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से मिलने के लिए उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) विमान से नहीं, बल्कि बख्तरबंद ट्रेन से यहां पहुंचे हैं। यह ट्रेन भी किम जोंग उन की है। सोमवार को पीले रंग की पट्टी वाली गहरे हरे रंग की ट्रेन को उस सीमा पर देखा गया जहां रूस, चीन और उत्तर कोरिया मिलते हैं। इसके खास रंग की वजह से यह ट्रेन और भी ज्यादा अनोखी हो जाती है। किम प्लेन से बहुत कम सफर करते हैं और वह सिर्फ अपनी इसी बख्तरबंद ट्रेन से ही सफर करना पसंद करते हैं। किम की इस ट्रेन को पटरियों पर दौड़ता हुआ किला (Running Fort On Rail Track) कहा जाता है।
किम की ट्रेन के आगे-पीछे दो ट्रेनें और चलती हैं
किम के पिता और उनके दादा भी ट्रेन से ही सफर करते थे। किम चार साल से ज्यादा समय के बाद उत्तर कोरिया के बाहर पहली ज्ञात यात्रा पर गए हैं। वह इस बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता करने वाले हैं। किम की ट्रेन बहुत ही अजीब है। किम की ट्रेन के आगे और पीछे दो ट्रेनें चलती हैं। एक आगे के रास्ता सुरक्षित करने के लिए पायलट टेन और किम की ट्रेन के पीछे सुरक्षा देने के लिए सिक्योरिटी ट्रेन।
पूरी ट्रेन बुलेटप्रूफ
करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ने वाली किम की ट्रेन ने 18 घंटे के थका देने सफर के बाद रूस तक की यात्रा पूरी की है। लेकिन किम के लिए यह सफर थका देने वाला बिल्कुल नहीं था, क्योंकि उनकी ट्रेन में बेडरूम और कॉन्फ्रेंस हॉल तक हैं। बुलेटप्रूफ साइडिंग (Bulletproof Siding) के कारण यह ट्रेन बाकी मॉर्डन ट्रेनों की तुलना में बहुत कम स्पीड से चलती है। ट्रेन से यात्रा करने की किम परिवार की रुचि उत्तर कोरिया (North Korea) के संस्थापक किम इल सुंग से शुरू हुई थी। उस समय सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन ने एक ट्रेन उन्हें गिफ्ट की थी।
ट्रेन में हुई थी पिता की मौत
उनके बेटे, किम जोंग इल, प्लेन में सफर करने से डरते थे और ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते थे। साल 2010 में, उनके पूर्व बॉडीगार्ड ने दक्षिण कोरियाई मीडिया को बताया कि उत्तर कोरिया के नेता को डर था कि अगर वह प्लेन से यात्रा करेंगे तो उनके दुश्मन उन्हें गोली मार देंगे। अगले ही साल यानी 2011 में किम की हार्टअटैक से मृत्यु हो गई। उत्तर कोरियाई सरकारी मीडिया की मानें तो जब उनकी मृत्यु हुई तो वह ट्रेन में थे। किम जोंग उन ने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा है। साल 2019 में किम ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ दूसरी मीटिंग की। इस मीटिंग के लिए वह इसी बख्तरबंद ट्रेन से वियतनाम पहुंचे थे। ट्रेन में चीन से करीब 4,500 किलोमीटर की यात्रा की और इसमें ढाई दिन लगे थे।
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