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पत्नी को पति की ‘दूसरी वाली’ के साथ रहने पर मजबूर नहीं कर सकते
Last Updated on June 6, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पत्नी को उसके ससुराल में किसी भी तरह से पति की ‘दूसरी वाली’ के साथ रहने पर मजबूर नहीं कर सकते। इस फैसले के साथ कोर्ट ने पति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पत्नी पर क्रूरता और परित्याग का आरोप लगाया था।
जस्टिस सत्येन वैद्य की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि पत्नी का पति के घर पर ‘दूसरी वाली’ महिला के साथ न रहते हुए अलग रहने का फैसला न्यायोचित है, क्योंकि पत्नी को ससुराल में उस व्यक्ति के साथ रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता, जिसने एक और महिला साथ रखी हुई हो। पति और पत्नी 1995 से अलग रह रहे थे। पति ने ट्रायल कोर्ट में पत्नी की क्रूरता को आधार बनाकर याचिका लगाई, जिसमें सबूतों के साथ यह दावा किया गया था कि पत्नी ने उसको कई वर्षों से छोड़ रखा है। कई बार मनाने पर भी वह वापस आने को तैयार नहीं हुई। लेकिन ट्रायल कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद पति ने हाईकोर्ट से इंसाफ मांगा था।
क्रूरता के सबूत नहीं दिए
बेंच ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू मैरिज और डायवोर्स नियम (हिमाचल) 1982 के अनुसार क्रूरता को समय और तारीख के हिसाब से स्पष्ट करना जरूरी है, लेकिन याचिका में इनका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में पत्नी के झगड़ालू होने के किसी भी आरोप को मानक सबूत नहीं माना जा सकता।