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बाजार में उतरने को तैयार धर्मपुर के डरवाड़ की महिलाओं के हाथों से तैयार “अपनी हल्दी”
Last Updated on July 10, 2020 by saroj patrwal
कोरोना के चलते जहां बहुत सारे लोग अपने रोजगार से हाथ घो बैठे हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने स्वरोजगार की राह चुनी और मेहनत के दम पर एक मुकाम हासिल किया। इस का बेहतर उदाहरण है मंडी ज़िला( Mandi Distt) के धर्मपुर विकास खंड की डरवाड़ ग्राम पंचायत की महिलाएं। यहां पर नाबार्ड( NABARD) के सहयोग से हल्दी पाउडर बनाने का लघु उद्योग(Small industry) स्थापित किया गया है, जिसमें 15 महिला स्वयं सहायता समूहों की डेढ़ सौ महिला सदस्यों को हल्दी पाउडर बनाने के लिए उद्यमियता विकास कार्यक्रम के तहत वित्तिय सहायता प्रदान की गई है। डरवाड़ पंचायत में इस परियोजना को मंडी साक्षरता एवं जन विकास समिति द्धारा ग्रामीण विकास समिति डरवाड़ व पन्द्रह महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद से लागू किया जा रहा है। जिसके तहत हल्दी की जैविक खेती करने और उसकी पिसाई व बिक्री करके आजीविका कमाने का ज़रिया बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट नाबार्ड ने गत वर्ष सेंक्शन किया था, जो अब तैयार हो गया है और हल्दी पाउडर बनाने व उसकी लिफ़ाफ़ाबंदी का काम आज़कल समूहों की महिला सदस्य कर रही हैं और 12 जुलाई को नाबार्ड के स्थापना दिवस के दिन से इसकी बिक्री का काम शुरू हो जाएगा।
ग्रामीण विकास समिति डरवाड़ के सलाहकार भूपेंद्र सिंह ने बताया कि स्थानीय स्तर पर हल्दी की फ़सल उगाने का कार्य महिला स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं और पिसाई व प्रबंधन का काम ग्रामीण विकास समिति के सदस्य कर रहे है।उन्होंने बताया कि नाबार्ड द्धारा मंडी ज़िला के लिए एक मात्र पायलट परियोजना स्वीकृत की है और अब इसका सफ़लता पूर्वक संचालन शुरू हो गया है। “अपनी हल्दी” ब्रांड के नाम से यहां तैयार किये गए हल्दी पाउडर को मार्केट में बिक्री के लिए उतारा जा रहा है जो शुद्ध रूप में जैविक खाद से तैयार की गई है और इसके औषधीय गुण भी है।ग्रामीण विकास समिति डरवाड़ के अध्यक्ष सुरेश पठानिया और महासचिव सूरत सिंह सकलानी ने बताया कि इस क्षेत्र में बंदरों की समस्या के कारण किसानों ने मक्की, धान व गेहूं की पारंपरिक खेती करना कम कर दिया है। इसलिए उसके विकल्प के रूप में हल्दी की बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना बनाई गई थी जिसे सफ़ल करने में नाबार्ड ने वित्तिय सहायता की है और उसके बाद अब यहां हल्दी पाउडर बनाने का काम शुरू हो चुका है।
समिति ने किसानों से कच्ची और सुखी हल्दी क्रय करके उसका पाऊडर बनाने के लिए मशीन लगाई है तथा पैकिंग मशीन भी स्थापित की है और उसके बाद उसे बिक्री किया जायेगा।जिसके लिए मार्केटिंग स्पॉट निर्धारित किये जा रहे हैं और मेलों व प्रदर्शनियों में भी इसे बेचा जायेगा तथा मंडी सेरी मंच पर हर सप्ताह लगने वाले समूह बाज़ार में भी बिक्री हेतु रखा जायेगा।समिति ने इस वर्ष 25 कि्वंटल कच्ची हल्दी किसानों से क्रय की है जिसे अब पाउडर बनाकर बेचा जाएगा ।महासचिव भीम सिंह ठाकुर ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के प्रथम चरण की सफ़लता के बाद अब यहां पर फ़ार्मर्स प्रोडूसर्ज ऑर्गेनिजेशन गठित की जाएगी और हल्दी पाउडर की बिक्री के लिए सरकाघाट व मंडी में दुकानें भी संचालित की जाएंगी तथा अन्य दुकानों के माध्यम से भी बिक्री की जाएगी। इस काम के लिए माता कंचना स्वयं सहायता समूह घरवासड़ा को चिह्नित किया गया है जिसके सहयोग से ग्रामीण मार्ट चलाया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि नाबार्ड के स्थापना दिवस 12 जुलाई को नाबार्ड के सीजीएम शिमला और डीडीएम मंडी इस लघु उद्योग में बनी अपनी हल्दी को विधिवत रूप में लांच करेंगे। परियोजना केअगले चरण में डेढ़ सौ प्रगतिशील किसानों की सहकारी समिति गठित की जायेगी और अगले साल हल्दी का उत्पादन दस गुणा अधिक किया जायेगा।इस परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियता को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिलेगा तथा ग्रामीण विकास भी होगा।