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शिमला। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के फेर में फंसे प्रदेश के 30 हजार मकान मालिकों को लेकर अब सरकार एवं शहरी विकास विभाग की नींद टूटती नजर आ रही है। एनजीटी के आदेशों के बाद सरकार जहां लोगों को राहत देने के लिए कानूनी दांवपेच का सहारा लेने की सोच रही है, तो वहीं शहरी विकास विभाग भी अब बेतरतीब निर्माण कार्य को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुट गया है। इसी के चलते शिमला में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें वास्तुकारों के साथ शिमला के निर्माण कार्य पर मंथन किया गया।
शहरी विकास विभाग के निदेशक संदीप शर्मा ने बताया कि एनजीटी के नए आदेश बिल्कुल सही है। शिमला शहर को यदि बचाना है तो बेतरतीब निर्माण को रोकना जरूरी है। हालांकि ये मामला हिमाचल उच्च न्यायालय में भी चल रहा है, लेकिन शहरी विकास विभाग इसको लेकर पहले ही चिंतित है। एनजीटी के नए आदेशानुसार निगम से पहले ही नक्शे पास करवा चुके प्लॉट के मालिकों को खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। बता दें कि एनजीटी ने आदेश दिए हैं कि कोर और ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में बने अवैध भवनों को तोड़ा जाए। इसके अलावा जिन भवन मालिकों ने राज्य सरकार के टीसीपी संशोधन एक्ट में आवेदन कर रखे हैं। उन्हें भवन नियमित करवाने के लिए सरकार की ओर से तय पेनल्टी के अलावा ग्रीन सैस देना होगा।
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