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भगवान शिव का प्रिय महीना यानी सावन बहुत ही शुभ माना जाता है। सावन (Sawan) में भोलेनाथ का पार्थिव लिंग यानी शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है। शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग की पूजा से होने वाले लाभ के बारे में उल्लेख है। इस महापुराण के अनुसार इस पूजन से अन्न-धन, खुशहाल जीवन, पुत्र लाभ मिलता है और व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से भी निजात मिलता है। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में सर्वप्रथम कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने शिवलिंग की पूजा करने की परंपरा की शुरुआत की थी। आज हम आपको बताते हैं स्वयं शिवलिंग तैयार करने की विधि और पूजा करने का तरीका …
आप सबसे पहले शिवलिंग की पूजा करने का संकल्प लें। कोई साफ और पावन स्थान शिवलिंग (Shivling) के निर्माण के लिए चुनें। शिवलिंग बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या झरने से मिट्टी ले आएं। इस मिट्टी को शुद्ध करने के लिए पुष्प और चंदन का प्रयोग करें। मिट्टी में गाय का दूध मिलाएं। शिव मंत्र का जाप करने के साथ इसमें गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं। ध्यान रहे कि इसके निर्माण के समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। आप इस पार्थिव शिवलिंग का कद आठ इंच से ज्यादा ना रखें। ऐसा मना जाता है कि ज्यादा ऊंचे पार्थिव शिवलिंग की पूजा का सही पुण्य-लाभ नहीं मिल पाता है। आप शिवलिंग की पूजा के दौरान मन ही मन अपनी मनोकामना (Desire) का ध्यान करते हुए प्रसाद चढ़ाएं। इसके लिए बेलपत्र, आक का फूल, धतूरा और बेल अर्पित करें और फिर कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। याद रहे कि शिवलिंग पर चढ़ाए प्रसाद को ना स्वयं ग्रहण करें और ना ही किसी दूसरे को दें।
पूजा करने का तरीका और इसके लाभ :
शिवलिंग तैयार करने के तुरंत बाद इसकी पूजा ना करें। पार्थिव शिवलिंग तैयार करने के बाद सबसे पहले गणेश जी, फिर भगवान विष्णु, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना जरूरी होता है। इसके बाद विधि विधान से षोडशोपचार अर्थात सोलह रूपों में पूजा करनी चाहिए। इसके बाद स्वयं तैयार पार्थिव शिवलिंग की शास्त्रवत तरीके से पूजा की जाती है।
शिव पुराण के अनुसार पार्थिव शिव पूजन से व्यक्ति को सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है, साथ ही मनोवांछित फल भी मिलता है। शिव जी की पूजा करने के लिए किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है, महिला तथा पुरुष सभी अपने तरीके से इन्हें याद करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा के दौरान व्यक्ति किसी भी या शिव के सभी मंत्रों का जाप कर सकता है। आप पूजा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं। ये ना सिर्फ अकाल मृत्यु को टालता है, बल्कि असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति को भी लाभ मिलता है।
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