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हमारे पूरे दिन के बिजी शेड्यूल के बाद एक काम ऐसा होता है जो हमें रिलैक्स होकर करना होता है और वह है भरपूर नींद लेना। लेकिन कुछ लोग रात के समय भी पूरी नींद नहीं लेते हैं जो कि दिल के लिए बेहद खतरनाक है। रात में 6 घंटे से भी कम नींद लेने से लोगों में स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ जाता है। यह सीआरपी नामक कार्डियोवस्क्युलर बीमारी का एक प्रमुख कारण है।
रात 10 बजे से सुबह 3 बजे के बीच का समय वह समय होता है जब शरीर की अधिकतम कार्य प्रणाली की मरम्मत होती है। जब आप इस सुनहरे वक्त के दौरान नींद नहीं लेते तब ऑक्सिडेटिव यानी उपचय क्षति होती है जिससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है। ऐसे में कार्सिनोजेनेसिस यानी कैंसरकारी ब्रेन स्ट्रोक और दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है। अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के मुताबिक, अनियमित नींद की दिनचर्या, मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोरोनरी सहित कई कार्डियोवस्क्युलर जोखिमों से जुड़ी है।
अपर्याप्त नींद वजन बढ़ने के लिए भी जिम्मेदार है। कम नींद लेने वाले सामान्यत अधिक नाश्ता लेते हैं और अधिक आहार का भी सेवन करते हैं। इसके अलावा, अपर्याप्त नींद विभिन्न मस्तिष्क प्रणालियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसमें ऊर्जा ग्रहण करना, निर्णय लेना और भोजन के पसंद को नियंत्रित करने वाली तंत्रिकाएं शामिल हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि नींद की समस्या से ग्रस्त लोग कम सब्जी खाते हैं और मीठे, वसायुक्त खाद्य पदार्थों की ओर उनका झुकाव अधिक रहता है।
लंबे समय तक दिन में सोना या फिर रात में अधिक समय तक सोने की समस्या एक विकार से संबंधित है जिसे हाइपर्सोमनिया कहा जाता है। स्लीप एप्निया, जो अक्सर मोटापे से संबंधित होता है, उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। केवल थके हुए महसूस करने की बजाय हाइपरसोमनिया से ग्रस्त लोग पूरे दिन या तो बार-बार नींद की आगोश में जाते रहेंगे या फिर अनुचित समय जैसे काम के दौरान या फिर बातचीत के दौरान भी नींद में रहेंगे। इाइपरसोमनिया से ग्रस्त लोग सोने के बाद भी तरोताजा महसूस नहीं करते और अक्सर परेशान महसूस करते हैं। इसके लक्षणों में चिंता, बेचैनी, भूख की कमी और स्मृति समस्याओं के साथ ही सामाजिक व्यवहार में अक्षमता भी शामिल है।
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