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देश ही नहीं प्रदेश के कई ऐसे हिस्सें है जहां त्योहार के नाम अलग है और अलग तरह से निभाए व मनाए जाते है.. लेकिन ऐसा सुना है कहीं कि लोग बर्फबारी के दौर में पहले मशाले जलाते है फिर शोर मचाते है और 2 दिन तक घर से बाहर नहीं निकलते…. पिछले कल मकर संक्रांति थी.. पूरे देश में मनाई गई भले ही अलग अलग नाम से .. आज आपको जनजातिय ज़िला लाहौल स्पीति लेकर चलेंगे जहां नए साल के रूप में मनाये जाने वाले हालडा उत्सव का आगाज हो गया है। इसी के साथ अब अलग अलग घाटियों में अलग अलग तिथियों को हालडा उत्सव मनाया जायेगा। गाहर घाटी में हालडा परम्परागत रीति रिवाज के साथ मनाया गया है। लोगों ने मशालें जलाई और अधीष्ठ देव की पूजा की। सभी लोगों ने एक जगह पर एकत्र होकर यह पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया।
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