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हवा के झोंकों से ताश के पत्तों की तरह बिखर गया 19 लाख से बना पुल
मंडी/करसोग। प्रदेश सरकार भले ही सड़क और पुल निर्माण में क्वालिटी वर्क के लाख दावे कर रही हो, लेकिन पीडब्ल्यूडी (PWD) ने सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी है। यहां शुक्रवार को सतलुज नदी पर 19 लाख की लागत से तैयार हो रहा चाबा-शाकरा पुल हवा के तेज झोकों से ताश की पत्तों की तरह बिखर कर नदी में समा गया। लोक निर्माण विभाग के सब डिवीजन सुन्नी के तहत शिमला-मंडी सीमा पर सतलुज नदी (Sutlej River) पर निर्माणाधीन ये पुल हवा की तेज रफ्तार से कुछ सेकंड तक झूलता रहा और फिर देखते ही देखते पुल के एक हिस्से में लगे लोहे के वीम और चैनल टूटकर नदी में बह गए, जिसके बाद पुल में उपयोग में लाई जा रही डेकिंग सीट भी हवा के साथ उड़कर नदी के तेज बहाव में समा गई।
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ऐसे में लाखों का पुल लोगों को समर्पित होने से पहले ही पीडब्ल्यूडी की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। जिससे शिमला और मंडी जिला (Shimla and Mandi District) के पांच से अधिक गांव के लोगों की जल्द पुल सुविधा मिलने की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। यही नहीं लोक निर्माण के इस कारनामे ने सरकार की साख पर भी बट्टा लगा दिया है। लोगों का कहना है कि घटिया निर्माण कार्य कर लोक निर्माण विभाग लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहा है। स्थानीय लोगों ने पुल निर्माण के उपयोग में लाई जा रही सामग्री की क्वालिटी पर सवाल उठाते हुए सरकार से इस मामले की जांच करवाएं जाने की मांग की है।
बता दें कि चाबा-शाकरा पुल 18 अगस्त, 2019 को सतलुज नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया था। जिसके बाद शिमला और मंडी जिला की सीमाओं को आपस में जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर झूला लगाया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए सरकार से पुल निर्माण की मांग की थी। इसके लिए शाकरा गांव का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम जयराम ठाकुर से मिला था। इस पर पुल की मरम्मत के लिए ठेकेदार को 19 लाख 17 हजार 468 में कार्य आवार्ड हुआ था। पीडब्ल्यूडी सुन्नी सब डिवीजन के एसडीओ चमन लाल सुमन का कहना है कि पुल का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ था, ऐसे में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई ठेकेदार ही करेगा। उन्होंने कहा कि ठेकेदार को 10 दिनों में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
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