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कोरोनाकाल के बीच लगे लॉकडाउन (Lockdown) में नौकरीपेशा लोगों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है। यूं तो ये बदलाव हर वर्ग के भीतर देखने को मिला है, लेकिन यहां मसला दूसरा है। लॉकडाउन के दौरान कंपनियों में नौकरीपेशा लोग वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) करने लगे, अब जब लॉकडाउन हट गया तो कंपनियों ने इन्हें ऑफिस बुलाना शुरू कर दिया है। लेकिन बीते नौ माह अपने घरों से काम करने वालों नौकरीपेशा लोगों को ये बदलाव पसंद ही नहीं आ रहा, उन्हें घर से ही काम करने की लत लग गई। इसके लिए वह अपनी सैलरी (Salary) का एक हिस्सा कटवाने को भी तैयार हैं। यानी वो अब ऑफिस जाना नहीं चाहते, वर्क फ्रॉम होम ही चाहते हैं।
इसी बीच द मैवेरिक्स इंडिया के सर्वे में सामने आया है कि 54 प्रतिशत नौकरीपेशा (54 Percent of the Employees) अपने घर से ही काम करना चाहते हैं। सर्वे में बताया गया है कि इनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जो वर्क फ्रॉम होम करने के लिए अपनी सैलरी का दस फीसदी हिस्सा कटवाने को भी तैयार हैं। इसी सर्वे में बताया गया है कि 34 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वो अनिश्चित समय तक घर से काम करने के बदले अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा कटवाने को (Willing to Deduct 10 percent of their Salary) तैयार हैं। ये सर्वे 720 लोगों पर किया गया था, इसी में सामने आया है कि वर्क फ्रॉम होम का सीधा असर आउटपुट पर पड़ता है। स्टडी में भाग लेने वाले 56 प्रतिशत लोगों ने इस बात को माना कि वर्क फ्रॉम होम से उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ी है। इनमें से कुछ लोगों का मानना है कि घर से काम करने से कोरोना से पहले और अब में करीब 25 फीसदी प्रोडक्टिविटी में इजाफा हुआ है। इनका कहना है कि घर से काम करने में ऑफिस आने-जाने का समय बचता है, साथ ही ये आर्थिक बचत में भी मददगार है यानी 54 प्रतिशत लोग अपने घर से काम करने के इच्छुक हैं।
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