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हिमाचल की ‘Himachali Pahari’ गाय को राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
Last Updated on February 22, 2020 by saroj patrwal
पालमपुर। हिमाचल की पहली ‘Himachali Pahari’ गाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। अलग-अलग राज्यों की तर्ज पर अब हिमाचली पहाड़ी गाय प्रदेश की पहली मवेशी नस्ल होगी। नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएजीआर) करनाल की नस्ल पंजीकरण समिति ने हिमाचली पहाड़ी को प्रदेश की पहली मवेशी नस्ल के रूप में पंजीकृत किया है। पंजीकरण होने की जानकारी चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति (Vice-Chancellor) प्रोफेसर अशोक कुमार सरयाल ने दी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सका वैज्ञानिकों ने विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. वाईपी ठाकुर, जोकि पशु जेनेटिक्स और ब्रीडिंग के प्रोफेसर भी हैं, की अगुवाई में इस नस्ल को अनूठी विशेषताओं के साथ प्राप्त करने के लिए अनुसंधान कार्य किए।
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कुलपति ने बताया कि हाल ही में पंजीकृत सात मवेशी नस्लों में से 8,00,000 की अनुमानित आबादी वाली “हिमाचली पहाड़ी” को मुख्य रूप से राज्य के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों जैसे कुल्लू, चंबा, मंडी, कांगड़ा, सिरमौर में वितरित किया गया था। यह दूध, सूखे और खाद के स्रोत के रूप में पहाड़ी पशुधन उत्पादन प्रणाली के अनुकूल है। दैनिक दूध की उपज एक से तीन किलोग्राम और दुग्ध उत्पादन की उपज 350 से 650 किलोग्राम तक होती है। कुलपति को उम्मीद है कि इस नस्ल के पंजीकरण के साथ, अनुसंधान और संरक्षण कार्य में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा, चंबा और पंजाब के कुछ हिस्सों में पाली जा रही गोजरी नस्ल की भैंस भी NBAGR Karnal से पंजीकृत है, जोकि प्रवासी गुर्जरों द्वारा पाली जाती है।