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अपनों को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए इन्होंने गांव के बाहर डाला डेरा
मंडी। कोरोना संकट के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने साथ-साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डालते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो समझदारी दिखाते हैं और अपने साथ सबका बचाव करते हैं। ऐसी ही सूझबूझ का परिचय दिया है मंडी जिला (Mandi District) के परखरैर पंचायत के घिंडी गांव की सोमा देवी ने। ‘मैंने अपने बच्चों को लिए गांव के बाहर ही एक खाली मकान किराए पर ले लिया है…. ताकि कमबख्त कोरोना की आशंका भी हमारे गांव तक ना पहुंचे।’ ये बताते हुए मंडी जिला के परखरैर पंचायत के घिंडी गांव की सोमा देवी की आवाज में अपने परिवार की सुरक्षा व समाज के प्रति जिम्मेदारी का गहरा बोध की अंतर्ध्वनि साफ सुनाई दे रही थी।
सोमा देवी ने बताया कि उनकी बेटी हेमानी चंडीगढ़ (Chandigarh) में एक कंपनी में जॉब करती है, उसके साथ गांव के ही रिश्तेदारों के दो और बच्चे भी चंडीगढ़ में काम करते हैं। वे तीनों हिमाचल सरकार की मदद से एचआरटीसी बस सेवा से 4 मई को चंडीगढ़ से गांव लौटे हैं। कोरोना वायरस के खतरे के बीच 14 दिन का होम क्वारंटाइन जरूरी था। ऐसे में हमने तय किया कि बच्चों के गांव में प्रवेश से पहले गांव से बाहर ही 14 दिन के होम क्वारंटाइन का कोई ऐसा इंतजाम किया जाए, जिससे वे भी सुविधा में रहें और घर-परिवार व समाज को भी किसी प्रकार की कोई खतरे की आशंका ना हो। गांव के ही एक व्यक्ति का मकान गांव से कोई 4 चार किलोमीटर दूर खाली पड़ा था। हमने उनसे इसे कुछ दिनों के लिए किराए पर देने का आग्रह किया और उन्होंने हामी भी भर दी। सोमा देवी के परिवार की आर्थिक हालात बहुत अच्छे नहीं हैं, लेकिन उनका कहना है कि पूरे समाज की भलाई के लिए ये कोई कीमत बड़ी नहीं है। वे बताती हैं कि 6 कमरों के इस मकान में रहने लायक सभी सुविधाए हैं। वे तथा अन्य दो बच्चों के माता-पिता सुबह-शाम का भोजन बच्चों को पहुंचा देते हैं। पंचायत भी इसमें उनकी मदद कर रही है।
इन जागरूक लोगों ने स्वेच्छा से चुना संस्थागत क्वारंटाइन
वहीं, मुरहाग पंचायत के नरेश, घनश्याम और उनके दोस्त ने अपने घर व गांव वालों की सुरक्षा के लिए घर जाने की बजाए एहतियातन पंचायत के संस्थागत क्वारंटाइन को स्वेच्छा से तरजीह दी। मुरहाग पंचायत के औहण गांव के चमन ठाकुर बताते हैं कि उन्होंने 6 मई को अपने भतीजों को गुड़गांव से लाने को टैक्सी भेजी थी। उनके पहुंचने से पहले ही पंचायत और उपमंडल प्रशासन को इत्तला कर दी थी और उनकी संस्थागत क्वारंटाइन में रहने की इच्छा के बारे में भी अवगत करवा था। प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत के गैस्ट हाउस में उनके रुकने की अच्छी व्यवस्था कर दी। उनके लिए राशन, गैस व चूल्हे का का प्रबंध कर दिया। चमन ठाकुर का कहना है कि गांव से दूर रह कर उनके भतीजों ने संस्थागत क्वारंटाइन में रहने का विकल्प चुना ताकि पूरे परिवार को क्वारंटाइन में न रहा ना पड़े और पूरा समुदाय भी कोरोना संक्रमण के किसी भी खतरे से बचा रहे। गौरतलब है कि मंडी जिला में बाहरी राज्यों से आए व्यक्तिों के साथ साथ उनके घर में रह रहे सभी सदस्यों को भी 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य किया गया है। प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के खतरे से पूरे समुदाय-समाज की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया है।
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डीसी ऋग्वेद ठाकुर का कहना है कि मंडी जिला में कई परिवारों के होम क्वारंटाइन के बहुत अच्छे उदाहरण सामने आए हैं। ऐसे अनेक परिवार हैं अन्यों के लिए मिसाल बने हैं। कइयों ने स्वेच्छा से संस्थागत क्वारंटाइन का विकल्प चुना है, तो किसी ने क्वारंटाइन रहने को गांव से बाहर कोई व्यवस्था की है। इस तरह अपने घर-परिवार व समुदाय-समाज की सुरक्षा के लिए दूरी बना कर रखने के उनके प्रयास सरहानीय और अन्यों के प्रेरणादायी हैं। पंचायती राज संस्थान भी प्रशंसा के पात्र हैं जो अपने स्तर पर ऐसे परिवारों की भरपूर मदद कर रहे हैं। प्रशासन ने जिला में 500 के करीब संस्थागत क्वारंटाइन केंद्र बनाए हैं, इनमें 2200 से अधिक लोगों के रहने की सुविधा है। संकट के समय में जरूरी सावधानियों का ठीक तरीके से पालन करने में एक दूसरे की मदद कर हम इस लड़ाई में विजयी होंगे।