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पांवटा के दिव्यांग युवक की CM से फरियाद, HIMUDA ने कर दिया परेशान- कुछ करो सरकार
पांवटा साहिब। जिला सिरमौर (Sirmaur) के पांवटा साहिब उपमंडल के दिव्यांग युवक व उनके परिवार ने शिमला (Shimla) में संपत्ति बेचकर पांवटा साहिब में अपने घर के पास ही प्लाट लेने की सोची। क्योंकि सिरमौर से शिमला दो सो किलोमीटर संपत्ति की देखभाल मुश्किल हो रही थी। इसके लिए उन्होंने शिमला में संपत्ति बेचने के लिए ग्राहक भी ढूंढ लिया और पांवटा साहिब (Paonta Sahib) में भी प्लाट देख लिया। संपत्ति बेचने और खरीदने को लेकर एग्रीमेंट कर लिया। लेकिन, अब हिमुडा से परमिशन लेटर के चक्कर में उक्त युवक और परिवार को मानसिक तौर पर परेशान होना पड़ रहा है। साथ ही एग्रीमेंट टूटने का भी भय सता रहा है। अगर एग्रीमेंट (Agreement) टूटते हैं तो उन्हें करीब 20 लाख का नुकसान उठाना पड़ेगा। दिव्यांग युवक इतने परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने हिमाचल की जनता से आग्रह किया है, वह कभी भी हिमुडा (Himuda) की संपत्ति खरीदने के बारे में ना सोचें।
क्या है मामला
विनय कुमार जैन (29) पुत्र डॉ. राजीव जैन पांवटा साहिब के स्थाई निवासी हैं। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश के हिमुडा ने उनका और उनकी माता अर्चना जैन को मानसिक तौर पर परेशान किया है। वह शरीरिक रूप से 80 फीसदी दिव्यांग हैं और सेरिब्रल पाल्सी नामक रोग से ग्रस्त हैं। परिवार में उनके माता पत्नी व डेढ़ साल की पुत्री है। उनकी पत्नी भी शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। माता टीचर (Teacher) हैं और पिता का वर्ष 2003 में देहांत हो गया था। वह हिमाचल स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर (Doctor) थे। विनय पांवटा साहिब में कॉमन सर्विस सेंटर चलाते हैं। विनय जैन का कहना है कि उनके स्वर्गीय दादा जगरोशन लाल जैन हिमाचल बिजली बोर्ड में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर थे। उन्होंने 1996 में हिमुडा विभाग से सेक्टर एक न्यू शिमला में हाउस बी-87 ग्राउंड फ्लोर एक स्कीम के तहत टेनेंसी डीड से खरीदा था। उसके बाद 1999 में एमसी शिमला से नक्शा मंजूर करवाकर पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण करवाया। जून 2016 को दादा के देहांत के बाद परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उन्हें भी संपत्ति का मालिकाना हक मिला। अगस्त 2017 में हम सबने इस संपत्ति को हिमुडा से फ्री होल्ड करवाकर नवंबर 2019 में पहली मंजिल का मालिकाना हक ले लिया, जिसका रिकॉर्ड शिमला राजस्व विभाग (Revenue Department) व हिमुडा विभाग दोनों में दर्ज है। विनय जैन व उनकी माता अर्चना जैन का कहना है कि पांवटा से शिमला 200 किलोमीटर दूर हैं। ऐसे में इस संपत्ति की देखभाल कैसे कर पाएंगे यही विचार करते हुए शिमला में अपनी संपत्ति पहली मंजिल को बेचने के बारे में सोचा। शिमला में ग्राहक देखकर एग्रीमेंट कर लिया और साथ ही उस राशि की प्रॉपर्टी में ही लगाने के विचार से अपने निवास स्थान पांवटा साहिब में एक प्लाट पसंद किया और एग्रीमेंट कर लिया।
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ऐसे परेशान हो रहा विनय और उनका परिवार
संपत्ति बेचने की प्रक्रिया आगे बढ़ी। फ्लैट हिमुडा से लिया गया था तो पहले जाकर हिमुडा ऑफिस में जानकारी प्राप्त की। बार बार पता करने पर हिमुडा स्टाफ ने बताया कि पहली और दूसरी मंजिल हिमुडा के द्वारा नहीं बनाई गई है और ना ही हिमुडा में इनका कोई रिकॉर्ड है, इसलिए परमिशन की जरूरत ही नहीं है। इसके बाद कोरोना महामारी में लॉकडाउन (Lockdown) के बाद शिमला की संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने के लिए ग्राहक ने लोन अप्लाई किया तो बैंक तथा रजिस्ट्रार तहसील शिमला ने हिमुडा से परमिशन लेटर की मांग की तथा कहा कि इसके बिना बैंक से लोन पास होना और तहसील की रजिस्ट्री हो पाना संभव नहीं है। इसके बाद विनय जैन फिर हिमुडा के दफ्तर गए और उन्हें उक्त बात बताई। हिमुडा ने हम सब परिवार के सदस्यों से अपने फ्लोर्स को हिमुडा के रिकॉर्ड में एंट्री करवाने के लिए कहा।
उन्होंने प्रत्येक फ्लोर के मालिक के 5900 रुपये का चार्ज लिया जो कुल मिलाकर 17700 रुपये थे। जबकि ब्लड रिलेशन में केवल कुल 5900 रुपये लेने का हक था। उसके उपरांत हिमुडा से परमिशन के लिए हिमुडा शिमला ऑफिस में बताए गए दस्तावेजों के साथ प्रक्रिया को अमल में लाया गया तो फाइल हिमुडा आर्किटेक्ट (Architect) ब्रांच में भेजी गई तो वहां सभी जूनियर आर्किटेक्ट से फाइल पास होने के बाद फाइल सीनियर आर्किटेक्ट हिमुडा के पास भेजा गया, जिन्होंने फाइल पर ऑब्जेक्शन लगा दिया कि आपके फ्लोर का एरिया एपू्रव्ड मैप से पांच वर्ग मीटर ज्यादा है। इसलिए पहले एमसी शिमला से एरिया रेगुलराइज्ड करवाएं। उसके बाद ही आपके परमिशन का लेटर देने बारे में सोचा जाएगा। कुछ दिन बीत जाने के बाद इस समस्या का समाधान करने के लिए एमसी शिमला गए वहां अपनी समस्या बताई पर उनका कहना था कि यह मामला हिमुडा का है ही नहीं इसलिए हिमुडा को परमिशन दे देनी चाहिए और हिमुडा विभाग ने कब से पानी का कनेक्शन देने का काम शुरू कर दिया, जिसके बिना वो परमिशन नहीं दे सकते। यह बात हमने सीनियर आर्किटेक्ट को जाकर बताई उसके बाद उन्होंने जो मामला उनके विभाग का है ही नहीं तब भी हिमुडा ने लिखित रूप से स्टाम्प पेपर पर लिया और ऑब्जेक्शन हटा दिया गया। फिर फाइल आगे बढ़ी और बताया गया कि परमिशन मिल जाएगी। इसके बाद फाइल पर वहीं ऑब्जेक्शन दूसरे ऑफिसर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हिमुडा ने लगाया तथा हमारी बात को सुनने की भी कोशिश नहीं कर रहे हैं। इससे पहले हिमुडा द्वारा न्यू शिमला सेक्टर पांच में काफी लोगों को परमिशन दी जा चुकी है।
शिमला के चक्करों में खर्च हो गए 20 से 25 हजार
विनय का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में पूरे तीन माह और पांच छह चक्कर शिमला के लगे हैं। जिसमें 20 से 25 हजार का खर्चा हुआ है। घर पर भी उनकी पत्नी जोकि स्वयं 70 फीसदी विकलांग हैं व पुत्री जो सिर्फ अभी डेढ़ साल की है को अकेला छोड़कर शिमला के बार बार चक्कर काटने पड़ते थे। अगर पीछे से उन्हें कुछ परेशानी हो जाए तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा। उन्होंने कहा कि जो एग्रीमेंट उन्होंने शिमला व पांवटा साहिब में किए हैं उनकी तारीख भी निकट ही है। चिंता इस बात की है कि एग्रीमेंट के टूट जाने से करीब 20 लाख रुपये डूब जाएंगे। इस सारे मामले उन्हें हिमुंडा से परमिशन लेटर की ही जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर किसी वजह से उन्हें व उनके परिवार को कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी हिमुडा की होगी। अगर 20 लाख का नुकसान होता है तो इसकी भरपाई भी हिमुडा करे। उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।