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दुर्गा पंडाल में दिखी सीमा विवाद की झलक, #Jinping का संहार कर रहीं मां
नई दिल्ली। नवरात्र के साथ त्योहारी सीजन शुरू हो गया है और लोग आने वालें पर्व की तैयारियों में जुट गए हैं। दुर्गा पूजा (Durga Puja) को लेकर भी विशेष तैयारियां चल रही हैं। विशेष रूप से बंगाल में दुर्गा पूजा काफी प्रसिद्ध है। दुर्गा पूजा के मुख्य आकर्षण होते हैं इसके शानदार पंडाल। इन पंडालों को रचनात्मक श्रमिकों द्वारा तैयार किया जाता है जो अक्सर मौजूदा मामलों और ट्रेंडिंग मुद्दों को देखते हुए इन्हें तैयार करते हैं। पूरे बंगाल सहित पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में इन पंडालों के जरिए विभिन्न मुद्दों को भी दर्शाया जाता है। ऐसा ही एक पंडाल बंगाल के मुर्शिदाबाद में तैयार किया गया है जो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है। एलएसी पर चल रहे मौजूदा तनाव की झलक दुर्गा पंडालों में भी देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बनाया गया यह पंडाल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की वजह से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। यहां असुर की जगह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला लगाया गया है जिसमें मां दुर्गा असुर ‘जिनपिंग’ का संहार करती हुईं दिख रही हैं।
https://twitter.com/KrishnDhananjay/status/1319226446439591936
पंडाल में लगाई प्रवासी मजदूरों की मूर्तियां
इस साल कोरोना वायरस के चलते दुर्गा पूजा समारोह में भीड़ कम है, लेकिन फिर भी पंडाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। सोशल डिस्टेसिंग के नियम भी आयोजकों और कारीगरों को पंडाल बनाने से नहीं रोक सके हैं। नवरात्रि (Navratri) के त्योहार में मां दुर्गा की पूजा होती है जो बुराई के प्रतीक राक्षस का वध करती है। पिछले हफ्ते, कोलकाता (Kolkata) में एक पंडाल में लगे एक पुतले के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया था।
कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल में प्रवासी कामगारों की मजबूरी दिखाती प्रतिमा, इसमें एक मां कार्तिकेय रूपी बच्चे को पकड़े हुए और दो बेटियों के साथ शक्ति रूप में खड़ी है।
इस प्रतिमा के माध्यम से ये दिखाया गया है कि किस तरह एक मां अपने भूखे बच्चों के साथ तेज धूप में चली जा रही है। pic.twitter.com/Re3ENcXaKJ— Shakuntala Sahu (@ShakuntalaSahu0) October 17, 2020
कोलकाता के बेहाला इलाके में बारिशा दुर्गा पूजा समिति ने मां दुर्गा की मूर्ति की जगह पंडाल में प्रवासी मजदूरों की मूर्ति लगाई है और कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के संघर्षों को इस मूर्ति में दर्शाया गया है। पंडाल में उन माताओं को दिखाया गया है, जो कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से अपने बच्चों को लेकर हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा पर निकली थीं और किस तरह सोनू सूद ने भी मजदूरों की मदद की उनकी मूर्ती भी पंडाल में लगाई गई है।