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आप जानते हैं क्या ! पहली January को ही क्यों मनाया जाता है #New_Year
आज पूरी दुनिया नए साल का जश्न मना रही है। हालांकि कोरोना की वजह से इस बार का जश्न फीका जरूर रहा, लेकिन फिर भी लोगों में उत्साह तो है ही। साल 2020 दुनिया के लिए कई मायनों में खराब रहा। इस साल लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनमें सबसे बड़ी मुसीबत तो कोरोना वायरस (Corona virus) ही था। अब नए साल से उम्मीद की जा रही हैं कि इस साल में सब कुछ ठीक हो जाएगा। नए साल का जश्न तो पूरी दुनिया ही मनाती है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि नया साल पहली जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है बाकि किसी महीने से हम क्यों नए साल की शुरुआत नहीं करते। हम आपको इस बारे में बताते हैं।
सबसे पहले नया साल मनाने की यह परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) से शुरू हुई थी। इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर, 1582 में हुई। इस कैलेंडर की शुरुआत ईसाइयों ने की थी। ग्रिगोरियन कैलेंडर आने से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर था। इसमें केवल 10 महीने ही थे, साथ ही इस कैलेंडर में क्रिसमस की तारीख भी हर साल बदलती रहती थी। अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर पेश किया। इस कैलेंडर में 1 जनवरी को पहला दिन था तभी से यह कैलेंडर पूरी दुनिया में प्रचलित हो गया और 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।
भारत में नया साल विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। ज्यादातर ये तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती हैं। पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है। सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं। जैन धर्म के लोग नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है।