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किसान संगठन व सरकार के बीच 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा, अगली तारीख तय नहीं
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज 58वें दिन में प्रवेश कर चुका है। किसान (Farmers) अभी भी अपनी मांगों पर ही अड़ें हैं और सरकार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए उन्होंने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। आज दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बैठक हुई लेकिव ये भी बेनतीजा रही। अगली बैठक (Meeting) की तारीख भी सरकार की तरफ से नहीं दी गई है।
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किसान आंदोलन के मुद्दों के समाधान हेतु, भारत सरकार ने 11 दौर में लगभग 45 घंटे किसान यूनियनों के साथ विमर्श किया।
दोनों पक्षों में सहमति के अभाव के कारण वार्ता आज स्थगित हो गई, इसका मुझे दुःख है।
आशा है किसान संगठन बड़े मन से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करेंगे।https://t.co/esQ5tjfgWO pic.twitter.com/2pCag1oGH0— Narendra Singh Tomar (@nstomar) January 22, 2021
किसान यूनियनों के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि भारत सरकार की कोशिश थी कि वो सही रास्ते पर विचार करें जिसके लिए 11 दौर की वार्ता की गई लेकिन किसान यूनियन क़ानून वापसी पर अड़ी रही। सरकार ने एक के बाद एक प्रस्ताव दिए लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता। तोमर ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियां फैलें। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदि हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार PM मोदी जी के नेतृत्व में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगी। विशेष रूप से पंजाब के किसान और कुछ राज्यों के किसान कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के पश्चात मीडिया से वार्ता…https://t.co/g7TXjeViWT
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) January 22, 2021
सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।