-
Advertisement
हाजी मस्तान से दाउद और दाउद से रियाज़ भाटी, सियासी कनेक्नशन की लंबी है फेहरिस्त
मुंबई। सपनों की चकाचौंध से भरे बंबई यानी आज के मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया हमेशा से रहा है। कई बार सियासतदानों और अंडरवर्ल्ड के रिश्तों की बात भी खुलकर सामने आई है। इंदिरा गांधी, बाला साहेब ठाकरे और शरद पवार पर अंडर वर्ल्ड से रिश्ते होने की बात दबी जुबान में कई बार सामने आ चुकी है। आज हम आपको अंडर वर्ल्ड और पॉलिटिक्स का कनेक्शन समझाते हैं। लेकिन यह जानने से पहले वर्तमान के सियासी हालात पर नजर डाल लेते हैं।
दरअसल, मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में आर्यन खान के गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एनसीबी अफसर समीर वाणखेड़े पर गंभीर आरोप लगाने शुरु किए। देखते ही देखते यह मामला सियासी रंग पकड़ना शुरू हो गया। उसके बाद आरोप प्रत्यारोप के दौर में सियासत से अंडरवर्ल्ड के रिश्ते होने की बात भी सामने आने लगी। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम व मौजूदा नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़णवीस पर नवाब मलिक ने गंभीर आरोप लगाए।
नवाब मलिक ने बीते रोज ट्वीट कर कहा कि उनकी नींद ख़राब हो गई है। अब चैन खोने का वक़्त आ गया है। देवेंद्र फड़णवीस पर एक फर्ज़ी करेंसी रैकेट पर पर्दा डालने और रियाज़ भट्ट जैसे लोगों की सरपरस्ती करने का आरोप लगाया, जिसके संदिग्ध तौर पर अंडरवर्ल्ड से रिश्ते हैं। बता दें कि मलिक के आरोप लगाने से एक दिन पहले एक्स सीएम ने कहा कि नवाब परिवार ने सस्ते दाम पर जमीन की खरीदी है। फड़णवीस ने नबाव मलिक के अंडर वर्ल्ड से रिश्ते होने की बात भी कही थी।
मलिक और फड़णवीस की ये जुबानी जंग ने राजनीति की उस सड़ांध को एक बार फिर जगजाहिर कर दिया। जिसकी बदबू समय-समय पर अक्सर सामने आते रहती है। अंडरवर्ल्ड तीन दशकों से अधिक समय से सपनों की नगरी के सियासी नैरेटिव का हिस्सा है। मुंबई की सियासत में राजनेता समय समय पर अपने विरोधियों के खिलाफ अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के आरोप लगाते रहे हैं, जिनका मकसद सिर्फ और सिर्फ ध्रुवीकरण के जरिए सांप्रदायिक राजनीति करना होता था। कोई भी और कभी भी इन आरोपों की सच्चाई तक नहीं पहुंचा।
यह भी पढ़ें: नोटबंदी के साए में भारतीय अर्थव्यवस्था, सफलता गिनाने के लिए सरकार के पास कुछ भी नहीं
अंडरवर्ल्ड के साथ कनेक्शन होने का आरोप सबसे पहले 1980 के दशक में छगन भुजबल ने लगाए थे। जो उस समय शिवसेना के साथ थे अभी उसी पवार की पार्टी एनसीपी के नेता हैं और महाराष्ट्र सराकर में मंत्री भी। भुजबल ने आरोप लगाया था कि शरद पवार वसई और विरार के विकास में अंडरवर्ल्ड के हस्तक्षेप की अनुमति दे रहे थे, जो उस समय शांत सी बस्तियां थीं, लेकिन अब मुम्बई के बाहर महत्वपूर्ण शहर बन चुके हैं। भुजबल ने शरद पवार को निशाना बनाया था और उस पूरे मामले को ‘भूखंडा चा श्रीखंडा’ (भूखंड का श्रीखंड) बताया था’।
हाजी मस्तान का इंदिरा कनेक्शन
महाराष्ट्र में अपने सहयोगी कांग्रेस को शिवसेना के राज्यसभा सांसद ने उस वक्त नाराज कर दिया, जब उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के करीम लाला और हाजी मस्तान के साथ कनेक्शन होने की बात कही। राउत ने कहा था कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी करीम लाला जैसे डॉन से मिलने जाती थीं, और तस्कर हाजी मस्तान के साथ महाराष्ट्र प्रशासनिक मुख्यालय मंत्रालय में, ‘एक सम्मानित अतिथि’ जैसा बर्ताव किया जाता था।
इसके साथ उन्होंने यहां तक कह दिया था कि दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, और शरद शेट्टी जैसे डॉन इस तरह के मामले तय किया करते थे, कि मुम्बई पुलिस का अगला चीफ कौन होगा। राउत के बयान पर हल्ला मचने के बाद उन्होंने अपना बयान तो वापस लिया। मगर इसके बाद से अंडर वर्ल्ड से सियासी रिश्तों के धागे खुलने शुरु हो गए। लाला करीम के पोते सलीम ख़ान ने कहा कि ये सिर्फ इंदिरा गांधी नहीं थीं, जो उनके दादा से मिलती थीं; बाल ठाकरे, राजीव गांधी और शरद पवार जैसे नेता भी, मुम्बई या दिल्ली में उनसे मिले थे। वहीं, राउत के इस बयान के बाद सुंदर शेखर जो हाजी मस्तान के दत्तक बेटे होने का दावा करते हैं, उन्होंने भी हाजी मस्तान को एक पक्का कांग्रेसी बताया था। उन्होंने कहा कि वसंत दादा पाटिल, मुरली देवड़ा, तथा सुशील कुमार शिंदे जैसे बहुत से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उनसे मिलते थे।
दाऊद और गावली का नारा, 1995 विधानसभा चुनाव
1990 के दशक में दाऊद तुम्हारा और गवाली हमारा का नारा मुंबई की पॉलिटिक्स में जमकर गूंजा। खासकर 1992-93 के सीरियल बम धमाकों और आमची मुबंई की सड़कों पर दंगों के दौरान बहे खून के बाद। महाराष्ट्र की सियासत खुलकर सांप्रदायिक कार्ड खेलने लगी। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे मराठी गैंग्सटर अरुण गावली और उसके लोगों को, ‘आमची मुले’ (हमारे बच्चे) कहकर उनके समर्थन में आ गए।
1995 असेम्बली चुनावों से पहले एक रैली में ठाकरे ने ऐलान कर दिया, ‘अगर तुम्हारे (मुसलमानों के) पास दाऊद है, तो हमारे पास गावली है’। हालांकि, 2000 आते-आते गावली शिवसेना से अलग हो गया और अखिल भारतीय सेना के नाम से अपनी पार्टी बना ली। और 2004 के असंबेली चुनाव में जीतकर विधायक बन गया।
शरद पवार पर आरोप
1993 में मुम्बई नगर निकाय में एक सहायक निगम आयुक्त जीआर खैरनार ने आरोप लगाया कि शरद पवार जो उस समय महाराष्ट्र सीएम थे। वे अपराधियों को बचा रहे थे और उनके अंडरवर्ल्ड के साथ रिश्ते थे। खैरनार जिन्हें मुम्बई का ‘डिमॉलिशन मैन’ कहा जाता था, अवैध निर्माणों के खिलाफ अपनी कार्रवाई में आक्रामक थे, और उन्होंने खुलकर कहा था कि किस तरह राजनेता उन्हें फोन करके, अंडरवर्ल्ड से जुड़ी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का अनुरोध करते थे।
1990 के दशक में पवार आलोचनाओं से घिर गए थे। जब उन्होंने अंडरवर्ल्ड से जुड़े दो लोगों को अपने विमान में उड़ने की अनुमति दे दी थी। तब वो केंद्रीय रक्षा मंत्री थे (1991-93)। बीजेपी समय समय पर इस मुद्दे को उठाकर शरद पवार पर निशाना साधती रही। शरद पवार को 2000 के दशक में भी अंडरवर्ल्ड की सरपरस्ती के आरोप झेलने पड़े। 2015 में वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि दाऊद इब्राहिम 1993 धमाकों के बाद भारत लौटना चाहता था, लेकिन पवार ने जो उस समय महाराष्ट्र सीएम थे, उसकी पेशकश का जवाब नहीं दिया।
तेरी भी चुप मेरी भी चुप
वहीं, 1993 के मुम्बई धमाकों के बाद, केंद्र सरकार ने तत्कालीन गृह सचिव एनएन वोहरा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। जिसका काम अपराध सिंडिकेट्स की गतिविधियों और राजनीतिक शख़्सियतों व सरकारी अधिकारियों के साथ उनके रिश्तों का अध्ययन करना था। 5 अक्तूबर 1993 को रिपोर्ट के ग्यारह पन्ने, सार्वजनिक रूप से जारी किए गए थे। हालांकि जारी किए गए हिस्से में विशेष रूप से किसी का नाम नहीं लिया गया था। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया, ‘बहुत सारे क्राइम सिंडिकेट्स/ माफिया संगठनों ने काफी बाहुबल और धनबल हासिल कर लिया है और सरकारी पदाधिकारियों, राजनेताओं, तथा अन्य लोगों के साथ के साथ रिश्ते बना लिए हैं। इन्हीं मामलों को लेकर मुंबई की सियासत में कहावत चलती है, तेरी भी चुप … मेरी भी चुप…
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group