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ये है 13 साल की सोशल एक्टिविस्ट, विधवा किसान को देखकर लिया ऐसा फैसला
दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी कहानी हमें प्रेरित करती है। आज हम आपको ऐसी ही एक 13 साल की लड़की शजाना की कहानी बताएंगे, जो सोशल एक्टिविस्ट (Social Activist) हैं। शजाना 8 साल की उम्र से किसानों के लिए काम कर रही हैं।जानकारी के अनुसार, शजाना सामाजिक मुद्दे जैसे सेव द फार्मर्स पर काम करती हैं। शजाना 7वीं क्लास की स्टूडेंट हैं और ये अपने स्कूल की आउटस्टैंडिंग यंग एचीवर भी हैं। शजाना बताती हैं कि उन्हें मदद करना अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि एक दिन ऐसा अवसर आया, जिसने उनकी जिंदगी और समाज को देखने का नजरिया भी बदल दिया।
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आजीविका के लिए परेशान हैं किसान
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकीं चेन्नई की शजाना कहती है कि ‘मैं जब किताब पढ़ती थी तो वहां किसान बहुत खुशहाल और खेत हरे-भरे दिखते थे। मेरी इमेजिनेशन भी ऐसी ही बन गई कि खेत बहुत सुंदर जगह होती होगी। वहां काम करने वाले किसान बहुत खुश होंगे और उनकी जिंदगी हरी घास की तरह हरी होगी, पर जब सच्चाई मालूम हुई तो दुख हुआ।
शजाना कहती हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और किसान देश की बैकबोन हैं। कुछ साल पहले मैंने टीवी और अखबारों में किसानों की दुखियारी, बेचारी, लाठी खाते, सिर पर पट्टी बांधें ऐसी तस्वीरें देखीं, जिससे मेरी जिज्ञासु प्रवृत्ति ने समझना चाहा कि अगर किसान इस दुनिया की बैकबोन हैं तो उनके साथ ऐसी हिंसा क्यों, ये सुसाइड क्यों कर रहे हैं और दूसरों का पेट भरने वाले ही अपनी आजीविका के लिए परेशान क्यों हैं? मेरे इन्हीं सवालों ने किसानों के सशक्तिकरण के लिए काम करने के लिए मुझे प्रेरित किया।
अब अन्नदाता को कर रही अडॉप्ट
शजाना कहती हैं वे किसान जो हमें रोजाना का भोजन देते हैं, उस कम्युनिटी को रिप्रेजेंट करने की मैंने ठानी और यहां से मिशन शुरू हुआ- सेव द फार्मर्स। भारत में आज जो किसानों की स्थिति है उस पर जागरूकता फैलाने की मैंने ठानी। मैं तमिलनाडु के एक गांव में अपने माता-पिता के साथ फील्ड विजिट पर निकली और वहां मेरी नजर एक गरीब महिला किसान पर पड़ी जो कि एक विधवा थी और 3 बच्चों की मां भी।
शजाना बताती हैं कि पैसे ना होने के कारण वह महिला किसान अपनी खुद की एक एकड़ जमीन पर खेती नहीं कर पा रही थी। वहीं, उस महिला के घर गई तो वहां की हालत और भी बुरी थी, जिसे देखकर मुझे और भी बुरा लगा। जिसके बाद वह अपनी मां से पूछने लगी कि इनकी इतनी बुरी हालत क्यों है? उन्होंने उसी दिन तय किया कि वह इस महिला फार्मर को अडॉप्ट करेंगी। इसके बाद उन्होंने जनवरी 2018 में अपने जन्मदिन पर उन्हें अडॉप्ट कर लिया।
शजाना बताती हैं कि शुरू में मैंने अपनी खुद की पॉकेट मनी से उनकी मदद की और धीरे-धीरे उस महिला किसान के लिए फंड जुटाना शुरू किया। मैंने अपनी सारी ईदी उस महिला को दे दी और मां के ऑफिस के लोगों से भी फंड जुटाकर करीब 18 हजार रुपए उस महिला के लिए जमा किए। इन पैसों से मैं बीज खरीदती और उस महिला को जाकर देती।
इसके बाद मैंने उसी गांव से एक बुजुर्ग किसान को और अडॉप्ट किया। अब मैं उनकी खेतीबाड़ी का सारा खर्च उठाती हूं। मैं अपना जन्मदिन उनके साथ मनाती हूं और पोंगल से लेकर तमाम उत्सव उनके साथ ही सेलिब्रेट करती हूं। पिछले चार सालों में कई किसानों की मदद कर चुकी हूं और 2020 में किसान दिवस पर कोविड के समय पर कई किसानों को दाल, चावल से लेकर अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराईं। अभी आगे दो किसानों को और अडॉप्ट करूंगी।
शजाना बताती है कि उन्होंने खुद की कॉमिक सीरीज शुरू की है, जो उनकी फार्मिंग जर्नी के बारे में बताती है। उन्होंने बताया कि कॉमिक जल्द रिलीज होगी। शजाना ने बताया कि उन्होंने इंटरनेशनल फेयर ट्रेड मूवमेंट को जॉइन किया है, जहां वह पूरी किसान कम्युनिटी की मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि अब उनका सभी बच्चों को यही संदेश है कि जो खाना आप खाते हैं उसकी वैल्यू करें। सोचें कि आपकी प्लेट में फूड लाने के लिए कितने किसान कितनी मेहनत करते हैं। खाने को बर्बाद करने से पहले कई बार सोचें। जय जवान, जय किसान, जय हिंद।