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हिमाचल: सड़कों पर उतरे बागवान, कार्टन की बढ़ती कीमतों का जताया विरोध
शिमला। हिमाचल में सेब की पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कार्टन (Cartons) की लगातार बढ़ रही कीमतों (Rising Prices) ने बागवानों को सड़कों पर उतरने का मजबूर कर दिया है। आज यानी सोमवार को राजधानी शिमला के सेब बहुल क्षेत्र ठियोग और रोहड़ू में काफी संख्या में बागवानों ने सड़कों पर उतर कर अपना रोष जताया। इस दौरान ठियोग (Theog) में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस से एसडीएम ऑफिस तक सरकार से नाराज सेब उत्पादकों ने रोष मार्च निकाला और जोरदार प्रदर्शन करते हुए कार्टन की आसमान छू रही कीमतों का विरोध जताया। इसी तरह से रोहड़ू (Rohru) में भी भारी संख्या में बागवानों ने प्रदर्शन किया। बागवानों का कहना है कि कार्टन के साथ साथ खाद, बीज और दवाइयों की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इसके अलावा सरकार ने विभिन्न कृषि यंत्रों पर मिलने वाली सब्सिडी भी लगभग खत्म कर दी है। इससे बागवानी निरंतर घाटे का सौदा साबित हो रही है।
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ठियोग में प्रदर्शन के दौरान राकेश सिंघा (Rakesh Singha) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की मशां से कार्टन की कीमतों में बढ़ोतरी की है। इन बढ़ती कीमतों ने बागवानों की कमर तोड़कर रख दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने कार्टन पर जीएसटी की दर 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी है। कार्टन, तुड़ान, ग्रेडिंग, पैकिंग, भाड़ा, सब मिलाकर 20 से 25 किलो की पेटी को मंडी तक पहुंचाने में 300 से 400 रुपए तक की लागत आ रही है। वहीं, ठियोग मंडल के सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष महेंद्र वर्मा ने बताया कि सेब की पेटी आज से 20 साल पहले भी 1000 से 2000 रुपए के बीच बिकती थी, तब एक पेटी तैयार करने पर 30 से 35 रुपए की लागत आती थी। आज भी सेब के दाम 1000 से 2000 के बीच ही मिलते है, जबकि लागत 300 से 400 रुपए प्रति पेटी हो गई है। उन्होंने बताया कि कल के धरने के बाद बागवान लामबद्ध होकर इस आंदोलन को और उग्र बनाने की रणनीति तैयार करेंगे
एपीएमसी के शोघी बैरियर पर वसूली को बताया अवैध
राकेश सिंघा ने सरकारी उपक्रमों पर भी बागवानों से पैसे इकट्ठे करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एपीएमसी शिमला-किन्नौर शोघी में बैरियर लगाकर बागवानों से अवैध तौर पर लूट-खसोट कर रहा है। उन्होंने सभी बागवानों से अपील की है कि इस लूट के खिलाफ आंदोलन में बड़ी संख्या में भागीदारी सुनिश्चित बनाएं।
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