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भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का हुआ आगाज
Last Updated on October 5, 2022 by Vishal Rana
कुल्लू। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा (International Kullu Dussehra) का बुधवार को आगाज हो गया। सात दिन तक चले वाले इस दशहरा उत्सव में जिला भर से करीब 250 से अधिक देवी देवता पहुंचे। इस बार पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी अंतराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के गवाह बने। दशहरा उत्सव में पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी पहले पीएम भी बन गए हैं। पीएम मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर भीड़ के बीच भगवान रघुनाथ के दर्शन करने रथ मैदान में भी गए। यहां उन्होंने करीब 10 मिनट तक भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा निहारी। भगवान रघुनाथ (Lord Raghunath) की ओर से पीएम मोदी को फुलों और विल्व के पत्तों की माला भी पहनाई गई। यह माला आमतौर पर भगवान को ही चढ़ाई जाती है। इसके अलावा मोदी को बग्गा, दुपट्टा और प्रसाद भी भेंट किया गया।
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इस मौके पर खास बात यह रही कि जब तक पीएम मोदी रघुनाथ का आशिर्वाद ले रहे थे, इस दौरान ढालपुर मैदान में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने वाले देवता धूमल नाग ने भीड़ को नियंत्रित किया और किसी को भी पीएम मोदी के करीब नहीं जाने दिया। यह नजारा देखने लायक था। इससे पहले दोपहर बाद भगवान रघुनाथ पालकी में सवार होकर लाव-लश्कर और ढोल नगाड़ों की थाप पर रथ मैदान पहुंचे। रथ मैदान में छड़ीबरदार महेश्वर सिंह व राज परिवार के अन्य सदस्यों ने रथ की परिक्रमा की। वहीं हजारों लोगों ने भगवान रघुनाथ के रथ को खींचा और अस्थायी शिविर तक पहुंचाया। सैंकड़ों देवी-देवताओं की मौजूदगी में रघुनाथ अस्थायी शिविर में पहुंचे। भगवान रघुनाथ के साथ ही उत्सव में आए देवी देवता भी अपने अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान हो गए हैं।
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यह दशहरा उत्सव सात दिन यानी 11 अक्टूबर तक चलेगा। सातवें दिन लंका दहन के उपरांत कुल्लू दशहरा में देवी-देवता भगवान रघुनाथ से विदा लेकर अपने देवालय लौटेंगे। रथयात्रा शुरू होने से पहले दशहरा उत्सव में शरीक होने वाले सैकड़ों देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरी। देवी-देवता रघुनाथपुर में ढोल-नगाड़ों की थाप पर पहुंचे। इस दौरान भव्य देवमिलन का नजारा देखने को मिला। ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों और करनाल की स्वरलहरियों से रघुनाथ की नगरी गूंज उठी। दशहरा में यह परंपरा है कि जो भी देवता शामिल होते हैं, वे सबसे पहले भगवान रघुनाथ के दरबार में पहुंचते हैं।
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