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वैज्ञानिकों ने बताया-ये लोग बयान कर सकते हैं अपनी मौत का अनुभव
आपने कई बार ये किस्से सुने होंगे कि फलां आदमी ने अपने पूर्व जन्म का रहस्य बता दिया। उसने फलां परिवार को अपने पूर्व जन्म (Pre Birth) का परिवार बताया। क्या आपने सोचा है कि जब आदमी की मौत (Death) होती है तब कैसा अनुभव होता है। उसे क्या फील (Feel) होता है। क्या कोई व्यक्ति जिंदा रहकर भी मौत के वास्तविक अनुभव का अहसास कर सकता है। जो वह अनुभव कर रहा है वह क्या औरों को बता सकता है। किसी दूसरे की मौत को देखना और खुद की मौत के होने में बड़ा अंतर है। इस बारे में बातें भी अलग-अलग हैं और भ्रांतियां भी अलग-अलग हैं। इस संबंध में वैज्ञानिकों (Scientists) ने एक खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि एक व्यक्ति अपनी मौत का अनुभव साझा कर सकता है। मगर वे कौन से लोग हैं जो अपनी मौत का अनुभव साझा कर सकते हैं तो आइए आज हम आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं।
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इस संबंध में वैज्ञानिकों का दावा है कि किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट के बाद कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया जाता है। इसके बाद जो व्यक्ति जिंदा रह जाते हैं उनमें से हर पांच लोगों (five people) में एक व्यक्ति मौत के अनुभवों का अपने शब्दों में वर्णन कर सकता है। वह बता सकता है कि जब बेहोश था तब क्या अनुभव हो रहा था और जब वह मौत के कगार पर था तो तब क्या अनुभव हो रहा था। इस संबंध में की गई रिसर्च में यह सब कुछ सामने आया है। यह रिसर्च न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन (Research New York University Grossman School of Medicine) और अन्य स्थानों पर की गई है। इसमें शोधकर्तााओं ने 567 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया। इन लोगों के दिल ने अस्पताल में धड़कना बंद कर दिया था।
इस दौरान जीवित बचे लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने इस संबंध में अलग-अलग अनुभव बताए, जिनमें शरीर में दर्द, परेशानी के बिना होने वाली घटनाओं के बारे में बताया। वहीं इसके साथ सार्थक मूल्यांकन, कार्यों, इरादों और दूसरे के प्रति व्यक्ति किए विचार भी इन अनुभवों में शामिल रहे। वहीं शोधकर्ताओं ने इन अनुभवों को मतिभ्रम, भ्रम, सपना या सीपीआर से आई चेतना से अगल बताया।एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में चिकित्सा विभाग के प्रमुख सैम पर्निया ने कहा कि याद किए गए अनुभव और मस्तिष्क तरंग परिवर्तन तथाकथित मौत के निकट के पहले के संकेत हो सकते हैं। वहीं इस संबंध में पर्निया (Pernia) ने एक लेख में प्रकाशित अध्ययन के माध्यम से कहा कि यदि कोई व्यक्ति मौत के कगार पर हो या कोमा में हो तो उसे बिना परेशानी विचित्र आंतरिक चेतन के अनुभव हो जाते हैं।
यह खोज सीपीआर पर आधारित थी और इसमें गामा, डेल्टा, अल्फा और बीटा तरंगों को शामिल किया। इससे मस्तिष्क की गतिविधियों का अध्ययन किया गया। हमारे मस्तिष्क तरंगे तब होती हैं जब लोग सचेत होते हैं और उच्च स्तर का मानसिक कार्य करते हैं। तब इसमें सोच, स्मृति और सचेत धारणाएं आदि शामिल हो जाती हैं।सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि शरीर के अन्य जैविक कार्यो की तरह स्वयं और चेतना की मानवीय भावना मृत्यु के समय पूरी तरह से बंद नहीं हो सकती है। परनिया ने कहा इन अनुभवों को एक अव्यवस्थित या मरते हुए मस्तिष्क की चाल नहीं माना जा सकता बल्कि एक अद्वितीय मानवीय अनुभव है जो मृत्यु के कगार पर उभरता है। उन्होंने कहा यह स्पष्ट रूप से मानव चेतना के बारे में दिलचस्प प्रश्नों को प्रकट करता है।