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हाईकोर्ट ने रद्द किया दूरदर्शन के आकस्मिक कर्मियों को नियमित करने का आदेश
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय (Central Labor Court) के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत दूरदर्शन के आकस्मिक कर्मियों (Casual Workers) को नियमित करने के आदेश दिए गए थे। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने दूरदर्शन (Doordarshan) के आकस्मिक कर्मचारियों को आंशिक राहत देते हुए अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि उनके मामले में दूरदर्शन को श्रम कानूनों का पालन करना होगा और नियमित कर्मियों की तर्ज पर इन आकस्मिक कर्मियों को न्यूनतम ग्रेड (Minimum Grade) देना होगा।
कोर्ट ने दूरदर्शन की ओर से दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय चंडीगढ़ के फैसले को आंशिक रूप से निरस्त और आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि दूरदर्शन के आकस्मिक कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के आदेशों के अलावा श्रम न्यायालय का फैसला सही है। श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन को आदेश दिए थे कि वह आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के लिए पॉलिसी बनाएं और उन्हें रिक्त पद पर नियमित करें। इसके अलावा अदालत ने श्रम नियमों का पालन करने और नियमित कर्मचारी की तर्ज पर न्यूनतम ग्रेड देने के आदेश दिए थे। इस निर्णय को दूरदर्शन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। कोर्ट को बताया गया था कि दूरदर्शन में आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों (Contract Workers) ने अपनी सेवाएं नियमित करने के लिए श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उन्हें नियमित करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि श्रम अदालत ने नियमित करने के आदेश अपने क्षेत्राधिकार के दायरे के बाहर पारित किए हैं।
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