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आवासीय से व्यावसायिक परिसर में किराएदार का दावा नहीं बनता: हाईकोर्ट
Last Updated on September 30, 2023 by Soumitra Roy
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने शनिवार को एक फैसले में साफ कर दिया कि किराएदार का आवासीय परिसर (Residential Premises) से व्यावसायिक परिसर (Commercial Premises) में दावा नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि किरायेदार को दोबारा प्रवेश का अधिकार हिमाचल प्रदेश शहरी किराया नियंत्रण अधिनियम, 1987 में प्रदान किया गया है। हालांकि, यह निश्चित रूप से पूर्ण अधिकार नहीं है।
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने किरायेदार प्रकाश कौर की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि किसी मकान मालिक को अपनी संपत्ति का पूरा आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि भवन के पुनर्निर्माण के बाद यदि भवन को किराए (Rent) पर देना है तो ही किरायेदारों को परिसर में दोबारा प्रवेश का अधिकार होगा। यदि परिसर को वैध आवश्यकता के लिए खाली करने का आदेश दिया गया है और मकान मालिक आवासीय भवन को व्यावसायिक परिसर में बदल देता है, तो उस स्थिति में आवासीय परिसर में रहने वाला किरायेदार नवनिर्मित व्यावसायिक परिसर में दोबारा प्रवेश का दावा नहीं कर सकता है।
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किराएदार को थोपा नहीं जा सकता
इसी तरह यदि मकान मालिक अपने व्यवसाय का विस्तार करने का इरादा रखता है और व्यावसायिक गतिविधि के लिए परिसर का पुनर्निर्माण करता है तो ऐसी स्थिति में भी मकान मालिक पर किरायेदार को थोपना उचित नहीं है। ऐसा करना किरायेदार के व्यवसाय विस्तार की योजना में कटौती करने का उल्लंघन है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि मकान मालिक ने भवन को अपने इस्तेमाल के लिए पुनर्निर्माण (Renovation) कर इस तरह से बनाया है कि किराये पर देने का कोई प्रस्ताव नहीं है, या किरायेदार के थोपने से उसके परिवार की गोपनीयता में हस्तक्षेप का कारण बन सकता है, ऐसी स्थिति में भी किरायेदार का दोबारा प्रवेश का अधिकार नहीं है।