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अपील करने में शिक्षा विभाग की सुस्ती पर हाईकोर्ट ने लगाया 71 हजार का जुर्माना
शिमला। शारीरिक शिक्षकों को न्यूनतम योग्यता (Minimum Qualification) में छूट देने से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच (Single Bench Of Himachal High Court) के फैसले को चुनौती देने में शिक्षा विभाग (Education Department) की 90 दिन की सुस्ती भारी पड़ी। शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विभाग पर 71 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने में हुई देरी को माफ करने के एवज में यह जुर्माना (Fine) लगाया गया है। खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करने में शिक्षा विभाग ने 90 दिनों की देरी को माफ करने के लिए एक आवेदन दायर किया था। हाईकोर्ट ने शारीरिक शिक्षको को न्यूनतम योग्यता में छूट देने के एकल पीठ के निर्णय पर फ़िलहाल रोक लगा रखी है।
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने शिक्षा विभाग को जुर्माने की राशि हिमाचल प्रदेश आपदा राहत कोष (Himachal Disaster Relief Fund) में दो सप्ताह के भीतर जमा करने के आदेश दिए। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के 19 जुलाई 2022 के निर्णय को अपील के माध्यम से चुनौती दी है।
यह है पूरा मामला
उल्लेखनीय है कि 1996 से 1999 तक प्रतिवादी शारीरिक शिक्षकों ने शारीरिक शिक्षा (Physical Education) में एक वर्षीय डिप्लोमा किया था। उसके बाद इन्होंने शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति के लिए रोजगार कार्यालयों में नाम दर्ज करवाया था। पुराने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार, शारीरिक शिक्षक के लिए आवश्यक योग्यता मैट्रिक के साथ एक साल का डिप्लोमा था। वर्ष 2011 में पुराने नियमों को निरस्त किया गया और राज्य सरकार ने नए नियम बनाए। इसके तहत 50 फीसदी अंकों के साथ जमा दो की आवश्यक योग्यता और दो शैक्षणिक वर्षों की अवधि का डिप्लोमा निर्धारित किया। इससे वर्ष 1997-98 में एक वर्षीय डिप्लोमा धारक शारीरिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए अपात्र हो गए। अपात्र अभ्यर्थियों के अनुरोध पर राज्य सरकार ने बैचवाइज भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में एकमुश्त छूट दी। शर्त लगाई गई कि इन सभी को पांच वर्ष की अवधि के भीतर अपनी शैक्षिक योग्यता में सुधार करना होगा। सरकार ने वर्ष 1996 -1998 बैच के एक वर्षीय डिप्लोमाधारकों को नियुक्ति देने की बजाए उनसे कनिष्ठ अभ्यर्थियों को बैचवाइज आधार पर नियुक्त कर दिया। अपील में प्रतिवादियों ने सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी थी। एकलपीठ ने इनके पक्ष में निर्णय देते हुए सरकार को न्यूनतम योग्यता में छूट देने के बाद इन्हें नियुक्ति देने के आदेश दिए थे।
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