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रेलवे लाइन पर पुल नहीं बना तो फूटा गुस्सा, ग्रामीणों ने किया चुनाव के बहिष्कार का ऐलान
Lok Sabha Election 2024: ऊना। जिला मुख्यालय की नजदीकी ग्राम पंचायत जलग्रां टब्बा के रक्कड़ वार्ड 5 में ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का बहिष्कार कर दिया है। शुक्रवार सुबह ग्रामीणों ने गांव के बीचो-बीच से गुजर रही रेल लाइन (Railway Line) पर खड़े होकर जोरदार नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन (Protest) किया। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के बीचो-बीच से गुजरती रेलवे लाइन के चलते उनके अपने ही परिवार दो भागों में बंटकर रह गए हैं जबकि दोनों ही पक्षों की जमीनें लाइन के आर पार पड़ती है, जिसके चलते ग्रामीणों को महज 150 मीटर की दूरी 12 किलोमीटर घूम कर तय करनी पड़ रही है। इसके अतिरिक्त लाइन के उस पार स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र होने के चलते उन्हें भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण एक तरफ जहां स्कूली बच्चों की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है। वहीं दूसरी तरफ गर्भवती महिलाओं सहित गंभीर रूप से बीमार लोगों को भी अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की मदद नहीं मिल पाती। ग्रामीणों ने बताया कि उनकी सुविधा के लिए इस रेलवे लाइन पर एक पुल (Bridge) प्रस्तावित किया गया था। जिसका रेलवे द्वारा सर्वेक्षण भी कर लिया गया है लेकिन आज दिन तक यह पुल नहीं बनने के चलते लोग नरक जैसा जीवन जीने को मजबूर हो चुके हैं।
अधिकारियों और नेताओं के दरबार में भी दस्तक दी
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मसले को लेकर उन्होंने कई बार अधिकारियों और नेताओं के दरबार में भी दस्तक दी हालांकि रेलवे द्वारा भी यहां पर पुल बनाने की बात कही गई और इस पुल निर्माण (Bridge Construction) को लेकर तीन बार सर्वेक्षण भी हुए। लेकिन अभी तक पुल का नहीं बन पाना लोगों के लिए भारी समस्या का कारण बना हुआ है। लोगों को खेतों से अपनी फसले तक उठाने में भारी भरकम खर्च से गुजरना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से भी लगातार इस मसले को उठाया गया लेकिन आज तक कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया जा सका जिसके चलते उनके पास अब इस चुनाव का बहिष्कार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है।
छोटे बच्चों को लाना व घर छोड़ना दिक्कत
स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी से घर लाना और घर से आंगनवाड़ी भेजना बहुत ज्यादा जिम्मेदारी का काम होता है लेकिन यदि इस तरह के माहौल में रेलवे लाइन पार करके बच्चों को घर से लाना या छोड़ना पड़े तो वह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र का काम छोड़कर उन्हें और उनकी सहायता को बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना पड़ता है।
प्रेगनेंसी में महिलाओं के लिए एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती
उधर, आशा वर्कर ने बताया कि पुल नहीं होने के चलते इस कच्चे और खतरनाक रास्ते से रेलवे लाइन पर से गुजरते हुए गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाना भी बहुत टेढ़ी खीर बन चुका है। उन्होंने कहा कि कई बार हाई रिस्क प्रेगनेंसी में महिलाओं को लगातार अस्पताल पहुंचाना पड़ता है लेकिन उन्हें अस्पताल की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को लेकर काफी एहतियात बरती जाती है और उन्हें कई सुविधाएं प्रदान करने की बात भी कही गई है लेकिन यहां इन परिस्थितियों में वह सभी सहूलियत बेमानी साबित हो जाती हैं। वहीं एसडीएम ऊना विश्व मोहन देव चौहान ने कहा कि मामला संज्ञान में आने के बाद लोक निर्माण विभाग और रेलवे विभाग के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है और जल्द ही संयुक्त निरीक्षण कर समस्या का हल किया जायेगा।
-सुनैना जसवाल