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दिहाड़ीदारों के लिए Supreme Court का बड़ा फैसला, आठ साल की सेवा के बाद पेंशन का हक
Supreme Court : हिमाचल प्रदेश के दिहाड़ीदारों के लिए राहत भरी खबर आई है। यदि किसी दिहाड़ीदार ने आठ साल की नियमित सेवा का समय पूरा कर लिया है, तो वह पेंशन का हकदार होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है।
बालो देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
दरअसल, यह मामला हिमाचल की महिला बालो देवी के पति से संबंधित है, जो सरकारी महकमे में दिहाड़ीदार के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने तत्कालीन सिंचाई व जन स्वास्थ्य विभाग (अब जल शक्ति विभाग) में नियमित होने से पहले दस साल तक दिहाड़ीदार के रूप में सेवा की थी। नियमित होने के बाद उन्होंने कुल छह साल दो महीने तक सरकारी सेवा में बिताए।
आठ साल का नियमित सेवाकाल होने पर पेंशन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि पांच साल की दिहाड़ीदार सेवा को एक साल की नियमित सेवा के बराबर माना जाए। इस प्रकार, बालो देवी के पति की दस साल की दिहाड़ीदार सेवा को दो साल की नियमित सेवा के बराबर माना गया। चूंकि उन्होंने नियमित होने के बाद छह साल दो महीने तक नौकरी की थी, इसलिए उनका कुल नियमित कार्यकाल आठ साल से अधिक हो गया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस आठ साल के नियमित सेवाकाल को पेंशन के लिए कंसीडर किया जाए। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया।
ये सब भी होंगे पेंशन के पात्र
इस फैसले के परिणामस्वरूप, हिमाचल प्रदेश में जिन भी दिहाड़ीदारों ने डेली वेजर और नियमित सेवाकाल में आठ साल की नौकरी पूरी की होगी, वे सभी पेंशन के लिए पात्र माने जाएंगे। इसमें फार्मूला यह लागू होगा कि दस साल की दिहाड़ीदार सेवा को दो साल की नियमित सेवा माना जाएगा। बालो देवी के पति जल शक्ति विभाग में क्लास फोर कर्मचारी थे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के कई कर्मचारियों को लाभ होगा, लेकिन राज्य सरकार को इसके लिए एक बड़ी रकम की जरूरत होगी।