-
Advertisement
आजकल यस पेरेंटिंग का ट्रेंड, क्या आप जानते हैं बच्चों को हमेशा हां कहने के फायदे
Yes Parenting : क्या बचपन में आपके माता-पिता भी ज्यादातर चीजों के लिए ‘न’ कह देते थे? आज परवरिश का तरीका बदल गया है और इस नए जमाने की नई पेरेंटिंग का एक रूप है- ‘यस पेरेंटिंग (Yes Parenting)’। यस पेरेंटिंग में परवरिश करने का तरीका बिल्कुल अलग है। इसमें माता-पिता अपने बच्चों को ‘न’ कहते ही नहीं हैं, बल्कि इसके उलट उनकी हर ख्वाहिश (Wishes) को पूरा करने की कोशिश करते हैं। इस पेरेंटिंग में अगर बच्चा सोफे पर कूदना चाहता है तो माता-पिता का जवाब होता है, ‘हां, कूदो।’ अगर बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता तो जवाब होता है, ‘हां, ठीक है।’
क्या है यस पेरेंटिंग?
यस पेरेंटिंग हमेशा बच्चों की हर बात पर ‘हां’ कहने का तरीका है। यहां तक कि जब उन्हें ‘न’ कहना भी जरूरी हो, तब भी न कहने से बचना है। माता-पिता न कहने के लिए या तो बात को किसी अन्य तरीके से समझाते हैं या फिर बच्चों का ध्यान किसी अन्य काम में लगा देते हैं। कुल मिलाकर, यस पेरेंटिंग का लक्ष्य बच्चों को यह एहसास दिलाना है कि वे हर कार्य को करने के योग्य हैं।
ध्ययन बताते हैं
कुछ Studies बताते हैं कि माता-पिता एक दिन में बच्चों को कई बार ‘न’ कहते हैं। इतना ज्यादा ‘न’ सुनना बच्चों में उनके आसपास की दुनिया को जानने की जिज्ञासा को कम कर देता है। यस पेरेंटिंग का मकसद बच्चों को ज्यादा ‘हां’ कहने का है, ताकि वे नई चीजों से जुड़ सकें।
फायदे भी कमाल
यस पेरेंटिंग से बच्चों को अपने आस-पास की दुनिया को घूमने (Travel the World) और जानने की पूरी आजादी मिलती है। वे मुश्किल चीजों का सामना करना सीखते हैं, अपने अंदर छुपी रचनात्मकता को बाहर निकालते हैं और सीखते हैं कि समाज कैसे काम करता है। ऐसे बच्चों को कभी बोरियत का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि उन्हें हमेशा कुछ न कुछ करने को मिलता है। उनके ऊपर सख्त नियम नहीं थोपे जाते और उन्हें किसी कमरे में बंद करके नहीं रखा जाता। यस पेरेंटिंग माता-पिता के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि उन्हें खुद के लिए बनाए गए कई सख्त नियमों को तोड़ने की आजादी मिलती है। यह माता-पिता को बच्चों से जुड़ने में भी मदद करती है और संबंधों को मजबूत बनाती है।
कमियां भी कम नहीं
किसी भी परवरिश के तरीके की तरह, अगर इसे हद से ज्यादा अपना लिया जाए तो यह बच्चों के लिए गलत साबित हो सकती है। हर चीज के लिए हां कहना, खासकर उन चीजों के लिए जो बच्चों को खतरे में डाल सकती हैं, एक जिम्मेदार माता-पिता सही नहीं ठहरा सकते। हमेशा हर बात मानने से बच्चों के बिगड़ जाने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, अगर बच्चों को कभी अपने माता-पिता से न सुनने को नहीं मिलता तो वे कभी भी मुश्किलों का सामना करने का हौसला और दृढ़ता नहीं सीख पाते हैं और कमजोर बनकर रह जाते हैं।