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विपक्ष के विरोध के बीच विधानसभा में सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक पारित
Himachal Vidhan Sabha Winter Session At Tapovan: हिमाचल प्रदेश में 2003 के बाद अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों को बैक-डेट से सीनियोरिटी और वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे। विधानसभा में हिमाचल सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक-2024 (Himachal Government Employees Recruitment and Service Conditions Bill-2024)पारित कर दिया है। हालांकि बीजेपी( BJP) ने सदन में इस संशोधन का विरोध किया। सरकारी कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को पदोन्नति और वित्तीय लाभ देने के लिए रेगुलर के बराबर नहीं समझे जाने के विधेयक को पारित करने स पहले विधानसभा सदन में चर्चा लाई गई। चर्चा के बाद विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ।
कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रही सरकार
चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी विधायक त्रिलोक जम्वाल और जेआर कटवाल (BJP MLAs Trilok Jamwal and JR Katwal)ने कहा कि 20 साल से किसी भी सरकार ने इसे बदलने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस सरकार ऐसा करके कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। कांग्रेस ( Congress) ने इससे जुड़ा विधेयक बीते 18 दिसंबर को सदन में पेश किया था। आज इसे चर्चा के बाद पारित किया गया।इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता राज्य पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ था। अनुबंध सेवाकाल का फायदा देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ता, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची को संशोधन करना पड़ता।
त्रुटि को दुरुस्त किया जा रहा है
चर्चा के बाद अपने वक्तव्य में सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu)ने कहा कि कुछ लोग कोर्ट में जाते हैं। कोर्ट से भी निर्णय आते हैं कि इस लाभ को पहले की तिथि से दिया जाए। यह एक त्रुटि है, उसे दुरुस्त किया जा रहा है। इस वजह से कितने ही कर्मचारियों को डिमोट करना होगा। कुछ कर्मचारियों ने ही यह मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि इस त्रुटि की वजह से लाखों कर्मचारियों को डिमोट करने की नौबत नहीं आनी चाहिए।
जॉइनिंग की तारीख से सीनियरिटी और वित्तीय फायदे नहीं मिलेंगे
विधेयक पारित होने के बाद अब कर्मचारियों को जॉइनिंग की तारीख से सीनियरिटी और वित्तीय फायदे नहीं मिलेंगे। कर्मचारी जिस डेट को रेगुलर हुए, उसी दिन से उन्हें यह लाभ मिलेंगे। अनुबंध सेवाकाल (Contract service period)को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए हैं, जिनकी वरिष्ठता को लेकर पहले अदालत से आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के चलते राज्य खजाने पर बोझ बढ़ने की संभावना थी।बता दें कि शुरुआत में एग्रीमेंट पॉलिसी (Agreement Policy)के तहत कमीशन पास कर्मचारियों को 8 साल बाद रेगुलर किया गया। इसके बाद यह अवधि घटाकर 6 साल, फिर 5 साल और अब 3 साल बाद कंट्रैक्ट कर्मियों को रेगुलर किया जाता है। इसे देखते हुए कुछ कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने कुछ कर्मचारियों को बैकडेट से सीनियरिटी और वित्तीय फायदे देने के आदेश दिए।