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बिजली बोर्ड के इंजीनियर-कर्मचारी 700 पद समाप्त करने पर भड़के, किया जोरदार प्रदर्शन
Electricity Board Employees Protest: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड (Himachal Pradesh State Electricity Board) में निदेशक मंडल के विभिन्न श्रेणियों के 700 पदों को समाप्त करने के फैसले पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी स्वीकृति दे दी है। अब सरकार के इस फैसले के खिलाफ बिजली बोर्ड कर्मचारी, इंजीनियर, पेंशनर्स एक जुट हो गए हैं और उन्होंने सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। बुधवार को बोर्ड मुख्यालय शिमला के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार को ऐसा फैसला नहीं लेने की चेतावनी दी। इसके लिए हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी, अभियंता के ज्वाइंट फ्रंट ने अपनी कमेटी का और विस्तार कर हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी अभियंता व पेंशनर्ज की ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया है। ज्वाइंट फ्रंट ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकर को बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
कमरे में बैठकर बिजली बोर्ड के लिए नीति बनाती है सरकार
ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने शिमला में कहा कि राज्य सरकार बिजली बोर्ड पर प्रयोग करने में लगी हुई है। कभी सब कमेटी बिजली बोर्ड पर प्रयोग करती है, तो कभी राज्य सरकार कमरे में बैठकर ही बिजली बोर्ड के लिए नीति बना लेती है। अब बिजली बोर्ड को रेशनलाइजेशन के नाम पर खत्म करने का काम किया जा रहा है। कर्मचारी रेशनलाइजेशन के विरोध में नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि सभी के साथ बैठकर इसका फैसला हो। कमरे में बैठकर इस तरह के फैसले नहीं लिए जा सकते। वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड हिमाचल प्रदेश के करीब 30 लाख उपभोक्ताओं को सेवाएं देता है। ऐसे में अगर बिजली बोर्ड के साथ छेड़छाड़ की जाएगी, तो इससे आम लोग भी परेशान होंगे।
700 पदों को खत्म करना ठीक नहीं
हीरा लाल वर्मा ने कहा कि हाल ही में बिजली बोर्ड के 700 पदों को खत्म किया गया है। सीएम की ओर से भी इसकी अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड को बैक गियर में डाल दिया गया है। इससे कर्मचारियों का भी मनोबल गिर रहा है। कर्मचारी और पेंशनर बिजली बोर्ड से छेड़छाड़ सहन नहीं करेंगे। आज राज्य सरकार के खिलाफ कर्मचारी और पेंशनर में रोष है। बिजली बोर्ड में नई भर्ती नहीं की जा रही है। राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि यहां आउटसोर्स के आधार पर ही हो।
बिजली बोर्ड नुकसान में नहीं है
हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड को नुकसान में दिखाने की कोशिश की जा रही है, जबकि बिजली बोर्ड नुकसान में नहीं है। 178 करोड़ रुपए अलग-अलग सरकारी महाकमों की ओर से बिजली बोर्ड को भुगतान किया जाना है,यह बिजली के बिल का भुगतान है। उन्होंने कहा कि इसी तरह बिजली बोर्ड को मिलने वाली सब्सिडी का भी वक्त पर भुगतान नहीं हो रहा है। इसकी वजह से कर्मचारी और पेंशनर परेशान हो रहे हैं। आने वाले वक्त में ज्वाइंट फ्रंट बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि अगर पेंशनर सड़क पर नहीं उतर सकता, तो उनके परिवार के लोग सड़कों पर उतरेंगे और बिजली बोर्ड के कर्मचारी भी राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। वह सरकार की ओर से किया जा रहा है अन्याय नहीं सहेंगे।
संजू चौधरी