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राष्ट्रीय विद्रोह दिवस पर तिब्बती समुदाय ने मैक्लोडगंज से कचहरी चौक तक निकली रोष रैली
Tibetan National Uprising Day: धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रह रहे निर्वासित तिब्बती समुदाय(Tibetan Community) ने सोमवार को 66वां तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस (Tibetan National Uprising Day)का आयोजन किया। इस दौरान तिब्बतियों के विभिन्न संगठनों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया, वहीं तिब्बतियों ने चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मैक्लोडगंज से लेकर धर्मशाला के कचहरी चौक तक रोष रैली निकाली और चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी ( Slogans raised against China)भी की। बता दें कि 10 मार्च 1959 में चीन ने तिब्बत पर अपना कब्जा कर लिया था और तिब्बतियों को अपना देश छोड़ कर भारत आना पड़ा था, तब से आज तक भारत देश मे रह रहे सभी तिब्बती इस दिन को राष्ट्रीय विद्रोह दिवस के रूप में मनाते है।
तिब्बती वुमन एशोसिएशन (Tibetan Women’s Association)की उपाध्यक्ष शृंग डोलमा ने कहा कि इस दिन तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद तिब्बतियों के लगभग 6 हजार बौद्ध मठों को लूट लिया गया था और कई तिब्बतियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों तक तिब्बत अपनी मुद्रा और राष्ट्रीय ध्वज भाषा, लिपि, वेशभूषा, धर्म और परंपराओं के साथ एक स्वतंत्र देश था । वर्ष 1951 में चीनी सरकार के दबाव में तिब्बती सरकार (Tibetan Government)के एक प्रतिनिधित्व मंडल को 17 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए जबरन मजबूर किया गया बाद में चीन ने उनके आदेश की प्रत्येक शर्त का भी उल्लंघन किया और तिब्बत पर अपना कब्जा कर लिया। शृंग डोलमा ने कहा कि हम तिब्बत में तिब्बतियों पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अत्याचारों और करूरता की निंदा करने और तिब्बत के अंदर हमारे तिब्बती भाइयों और बहनों की पीड़ाओं के प्रति अपनी एकजुट दिखाने के लिए 66वां राष्ट्रीय विद्रोह दिवस मना रहे हैं । उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्र दुनिया से तिब्बत और तिब्बतियों को न्याय और आजादी दिलाने और उनके मानव अधिकारों की रक्षा के लिए उन बेजुबानों की आवाज़ बढ़ाने की अपील करते हैं।
रविन्द्र चौधरी