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तिब्बती प्रतीक जैसे पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाएगा, तिलमिलाया चीन
Dalai Lama : तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (Dalai Lama) ने कहा है कि उनका उत्तराधिकारी (Successor) चीन से बाहर पैदा होगा। दलाई लामा ने अपनी नई पुस्तक में यह लिखकर छह दशक से बीजिंग (Beijing)के साथ उनके विवाद को और हवा दे दी है, जो हिमालयी क्षेत्र में पड़ने वाले तिब्बत पर चीन (China) के नियंत्रण के चलते उपजा था, और उन्हें अपने देश को छोड़कर भारत में शरण लेनी पडी थी। मंगलवार को जारी हुई वायस फॉर वायसलेस (Voice For Voiceless) नामक अपनी पुस्तक में दलाई लामा ने लिखा कि दुनिया भर के तिब्बती (Tibetan) चाहते हैं दलाई लामा नामक संस्था उनकी मृत्यु के बाद भी जारी रहे। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कहा था कि उनके साथ ही आध्यात्मिक गुरुओं का सिलसिला रुक जाएगा।
पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकारी के कार्यों को आगे बढ़ाना
दलाई लामा ने पहली बार इस किताब (Book) में विशिष्ट रूप से साफ किया है कि उनका उत्तराधिकारी मुक्त संसार में जन्म लेगा, जो चीन के बाहर है। दलाई लामा ने पूर्व में कहा था कि केवल वही दलाई लामा तिब्बत से बाहर पुनर्जन्म (Reincarnation) ले सकते हैं, और संभवत: यह भारत (India) हो सकता है जहां वह निर्वासन के बाद रह रहे हैं। उन्होंने लिखा, पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकारी के कार्यों को आगे बढ़ाना होता है, इसलिए नया दलाई लामा मुक्त संसार में जन्म लेगा, ताकि दलाई लामा के वैश्विक करुणा की आवाज, तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के साथ तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले तिब्बती प्रतीक जैसे पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाए। दलाई लामा की इस पुस्तक में लिखी बातों से चीन तिलमिला उठा है। अब देखना होगा कि इस पर चीन क्या रुख अपनाता है।
निर्वासन के बाद से हिमाचल के मैक्लोडगंज में रह रहे
दलाई लामा तिब्बत और उसके बौद्ध मूल के निवासियों के धार्मिक और राजनीतिक नेता (Religious And Political Leader of Tibet) माने जाते हैं। दलाई लामा की संस्था केवल उत्तराधिकारी ही नहीं बल्कि पुनर्जन्म भी देखती है। कहा जाता है कि मौजूदा दलाई लामा से पहले अगले दलाई लामा का जन्म होता है। वर्तमान में जो 14वें दलाई लामा (14th Dalai Lama) हैं उनका नाम ल्हामो थोंडुप है। वह 1959 में निर्वासन में आने के बाद से भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित मैक्लोड़गंज (McLeodganj in Dharamshala, Himachal Pradesh) में अपने अस्थायी निवास स्थान में रहते हैं। वहीं से तिब्बती निर्वासित सरकार (Tibetan Government in Exile) का भी संचालन होता है। लेकिन उसमें दलाई लामा का किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उसका चयन लोकतांत्रिक तरीके से हर पांच वर्ष के बाद किया जाता है।
-राहुल कुमार