-
Advertisement
डिज़ास्टर एक्ट स्टेट इलेक्शन कमीशन से ऊपर, चुनाव नहीं हो सकते, भड़के विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट
Himachal Vidhansabha Winter Session : हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज पंचायत चुनावों पर नियम 67 के तहत चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच घमासान हो गया। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह डिज़ास्टर एक्ट का बहाना बनाकर पंचायत व शहरी निकायों के चुनाव टालने की कोशिश कर रही है। सीएम सुक्खू के बयान से नाराज़ विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
सरकार चुनावों का सामना करने से डर रही
दरअसल सदन में आज माहौल तब गर्मा गया जब सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अपने पक्ष में डिज़ास्टर एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि डिज़ास्टर एक्ट स्टेट इलेक्शन कमीशन से ऊपर है, और जब तक डिज़ास्टर एक्ट लागू है, पंचायत चुनाव नहीं हो सकते। इस बयान पर विपक्ष और भड़क उठा। विपक्ष का कहना है कि हिमाचल में कांग्रेस की लोकप्रियता गिर चुकी है और सरकार चुनावों का सामना करने से डर रही है। जिस तरह इमरजेंसी में अधिकार सीमित किए गए थे, उसी तरह अब डिज़ास्टर एक्ट को ढाल बनाकर चुनाव टालने की कोशिश की जा रही है।
वॉकआउट करना ही एकमात्र विकल्प बचा
नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि जिस समय स्पष्टता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी,सरकार ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। इसलिए वॉकआउट करना ही एकमात्र विकल्प बचा था। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि सीएम ने सदन के अंदर चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों को लेकर जानकारी तोड़-मरोड़कर पेश की और जनता को गुमराह किया।विपक्ष ने दावा किया कि जब शहरी निकायों के सीमा निर्धारण की प्रक्रिया चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार चल रही थी, तब भी सरकार ने चुनाव रोकने की तैयारी कर ली थी। डिजास्टर एक्ट बाद में लगाया गया, जबकि चुनाव टालने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई थी।विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है। उनका कहना है कि डिजास्टर एक्ट कब तक लागू रहेगा, यह तक नहीं बताया जा रहा, और पूरे प्रदेश को अंधेरे में रखा जा रहा है।
चुनाव से भागने का रास्ता ढूंढा जा रहा है
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा सीएम खुद कह रहे हैं कि डिज़ास्टर एक्ट लागू है, इसलिए चुनाव नहीं होंगे। क्या डिज़ास्टर एक्ट चुनाव आयोग से बड़ा हो गया? सरकार हार के डर से इस एक्ट का बहाना बना रही है। कांग्रेस को पता है कि उनकी लोकप्रियता धरातल में गिर चुकी है, इसलिए चुनाव से भागने का रास्ता ढूंढा जा रहा है। जब हमें स्पष्टता चाहिए थी। सरकार ने एक भी ठोस जवाब नहीं दिया। इसी कारण हमें वॉकआउट करना पड़ा। सीएम ने सदन में गुमराह किया। शहरी निकायों के सीमा निर्धारण चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार पहले से चल रहा था। डिज़ास्टर एक्ट तो बाद में लगाया गया, चुनाव टालने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई थी। सरकार बता दें डिज़ास्टर एक्ट कब तक चलेगा? प्रदेश को अंधेरे में रखा जा रहा है।
रविंद्र चौधरी
हिमाचल अभी अभी की सभी खबरों के पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
