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अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले में दिखी सिरमौरी संस्कृति की शानदार झलक
नाहन। अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले (International Renukaji Fair) के तीसरे दिन आज शुक्रवार को सिरमौर (Sirmour) जिला की पारंपरिक बुड़़ाह लोक नृत्य प्रतियोगिता के द्वारा सिरमौरी संस्कृति (Sirmauri Culture) की शानदार झलक देखने को मिली है। रेणुका मंच पर जिला सिरमौर के विभिन्न लोक कलाकारों से सुसज्जित दलों ने बुड़ाह पारंपरिक लोक नृत्य के साथ वाद्य यंत्रों की धुन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया और अपनी-अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया।
प्रतियोगिता में इन कलाकारों ने लिया भाग
बुड़ाह दल प्रतियोगिता (Competition) में शिरगुल कला मंच घाटों, बुडाह लोकनृत्य दल सैंज, पारंपरिक लोक नृत्य हानत, गोगा वीर सांस्कृतिक कला मंच पखवान गणोग, गुगा महाराज बुढ़ियात सांस्कृतिक क्लब क्यारका, बुडाह दल ऊंचा टिक्कर के कलाकारों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में बुडाह लोक नृत्य दल सैंज तथा बुडाह नृत्य दल ऊंचा टिक्कर संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहे। इसी प्रकार द्वितीय स्थान पर पारंपरिक बुडाह लोकनृत्य दल घाटों रहा। प्रथम तथा द्वितीय स्थान पर रहे विजेताओं को रेणुका विकास बोर्ड द्वारा नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।
![International Renukaji Fair](https://himachalabhiabhi.com/wp-content/uploads/2023/11/Renukaji-Fair.2.jpg)
नृत्य के आरंभ में गाया जाता है इतिहास
उल्लेखनीय है कि सिरमौर जिला कि सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage) को लोक संगीत से ही जाना और समझा जा सकता है। बुडाह नृत्य जिला सिरमौर में दीवाली के पर्व पर अमावस्या से भैया दूज तक किया जाता है। इस नृत्य के आरंभ में इसके इतिहास को भी गाया जाता है। जिसके अनुसार बुडाह नृत्य को पांडवों ने श्री कृष्ण के परामर्श से आयोजित किया था। इस नृत्य के मंचन के समय ऐतिहासिक वीर गाथाएं, युद्ध गाथाएं व हारुलों का गायन किया जाता है। इस पारंपरिक नृत्य का मुख्य आकर्षण इसकी पोशाक, आभूषण, डांगरा के अलावा लोक वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी, हुडक थाली दमामु / दमान्टु आदि हैं।
रेणुका विकास बोर्ड (Renuka Development Board) के अध्यक्ष और उपायुक्त सिरमौर सुमित खिमटा और उनकी टीम द्वारा अंतराष्टीय रेणुका जी मेले के अवसर पर सांस्कृतिक विरासत को संजोय इस प्रकार के लोक नृत्यों का मंचन करवाने का निर्णय अत्यंत प्रशंसनीय है। इसके मंचन से युवा पीढ़ी को अपने प्राचीन संस्कृति की झलक को करीबी से देखने का सौभाग्य मिलता है।