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सराज लकड़ी प्रकरण पर अरण्यपाल का कड़ा संज्ञान, ACF गोहर को सौंपा जांच का जिम्मा
संजीव कुमार/गोहर। सीएम जयराम ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र में देवदार की लकड़ी को आरा मशीन पर छोड़े जाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। वन विभाग की सन्देहस्पद गतिविधियों पर दर्ज हुआ मामला अब हाई प्रोफाइल (High profile) बनता जा रहा है। जिस तरह से प्रकरण में शिकायतकर्ता ने पुख्ता सबूत और दलील पेश की है उससे वन महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। संतोषजनक जवाब ना होने से हुई किरकिरी के बाद अरण्यपाल मंडी उपासना पटियाल ने कड़ा संज्ञान लेते हुए एसीएफ गोहर कमल जसवाल को जांच अधिकारी नियुक्त कर मौका रिपोर्ट कार्यालय में तलब करने के आदेश दिए हैं।
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तांदी बीट के जंगल से लाई लकड़ी प्रकरण पर उच्चाधिकारियों ने बयान जारी कर कहा गया था कि जंगल में तेज हवा के कारण पांच पेड़ गिरे थे। जिन्हें विभाग ने देवदार की लकड़ी के चोरी का संदेह होने पर जंगल से स्टोर लाया जा रहा था। जबकि 46 में से 17 विशालकाय गेलियां आरा मशीन पर चरान के लिए लाए हैं जिन्हें विभाग के अनुसार बाद में विभागीय स्टोर लाया जाना था। लेकिन जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा वन महकमा घटना स्थल के जंगल में पेड़ों के ठूंठ ढूंढने में खूब पसीना बहा रहा है जिससे प्रकरण पर संदेह गहराता जा रहा है।
उधर, शिकायतकर्ता फतेह सिंह ने आरोप लगाया है कि विभाग सीधे स्टोर के लिए जंगल से लकड़ी ला रहा था तो उन्हें जगह-जगह रखने की क्या नौबत पड़ी थी। उन्होंने कहा कि मामले को रफा-दफा करने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। विभाग के अधिकारी झूठ बोल रहे हैं कि उक्त जंगल में पैदल रास्ते का निर्माण किया गया है, लेकिन वहां जंगल में जेसीबी मशीन के द्वारा अढ़ाई से तीन मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण वह भी बिना परमिशन के लॉकडाउन के चलते किया है और जंगल को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अगर मामले में निष्पक्ष कार्रवाई अमल में नहीं लाई तो वह मामले को सरकार के समक्ष रखने से गुरेज नहीं करेंगे।
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वन विभाग मंडी की अरण्यपाल उपासना पटियाल ने कहा कि तांदी बीट से देवदार की लकड़ी के मामले में एसीएफ गोहर कमल जसवाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है और जांच रिपोर्ट कार्यालय में तुरन्त तलब करने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिस पर विभाग कोताही बिल्कुल भी सहन नहीं करेगा।